वैश्वीकरण राज्यों की संप्रभुता को कैसे प्रभावित करता है?
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वैश्वीकरण राज्यों की संप्रभुता को प्रभावित करता है, क्योंकि राष्ट्र या राज्य की स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता को वैश्वीकरण के कारण बाहरी बलों द्वारा या स्थानीय स्तर पर आंतरिक बलों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है। वैश्वीकरण के कारण ही राज्य की अपनी मूल संस्कृति और अवधारणा भी प्रभावित होती है। वैश्वीकरण के कारण उसे अन्य संस्कृतियों से घुल-मिल जाने का दबाव पड़ता है और ऐसी स्थिति में उसकी अपनी मूल संस्कृति प्रभावित होती है और किसी बाहरी संस्कृति के दबाव में उसकी मूल संस्कृति नष्ट होने का भी खतरा बन जाता है।
किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता उसकी उसका इतिहास, उसकी संस्कृति, उसकी भाषा और उस राष्ट्र की अवधारणा होती है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया में यह सारे तत्वों पर प्रभाव पड़ना अवश्यंभावी हो जाता है।
जब वैश्वीकरण होने लगता है तो दूसरी सभ्यताओं-संस्कृतियों से समन्वय में और सामंजस्य स्थापित करने की प्रक्रिया को भी चालू करना पड़ता है, इस कारण राष्ट्र या राज्य की अपनी संप्रभुता को खतरा पहुंचता है। किसी भी संप्रभु राष्ट्र को अपने राज्य से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने का पूरा अधिकार होता है, लेकिन जब वैश्वीकरण की प्रक्रिया आरंभ होती है तो उसे इन अधिकारों को खोना पड़ता है और उस पर भूमंडलीय शक्तियों से बातचीत करने का दबाव बढ़ता है।
वैश्वीकरण के कारण राज्यों की सीमाएं भी प्रभावित होती हैं, राज्य को अपनी सीमाओं के सुरक्षा संबंधी नियमों मेें ढील देनी पड़ती है, जिससे उस राज्य में बाहरी अतिक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वैश्वीकरण के कारण ही राज्य के निजी हित भी प्रभावित होते हैं और उसे अपने राज्य से संबंधित कोई भी निर्णय लेते समय बाहरी शक्तियों के हितों को भी ध्यान में रखना होता है, जिसे कभी-कभी राज्य के नागरिकों के हितों की अनदेखी भी हो जाती है। इस कारण वैश्वीकरण की प्रक्रिया किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता के लिए खतरा ही होती है और अक्सर उस राष्ट्र की संप्रभुता को खतरा ही पहुँचता है।
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उत्तर:
वैश्वीकरण राज्यों की संप्रभुता को प्रभावित करता है, क्योंकि राष्ट्र या राज्य की स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता को वैश्वीकरण के कारण बाहरी बलों द्वारा या स्थानीय स्तर पर आंतरिक बलों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है।
स्पष्टीकरण:
वैश्वीकरण के सन्दर्भ में राज्य के द्वारा अपनी लोक कल्याणकारी भूमिका को सीमित किया जा रहा है; सब्सिडी समाप्त की जा रही है; अब राज्य पूर्व की भाँति गरीबों का हितैषी नहीं रहा। अब तो राज्य की भूमिका बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सदृश हो गयी है; राज्य बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का सहयोगी कम, एजेन्ट अधिक बन गया है। संक्षेप में, वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने वैश्विक लोगों के औद्योगिक पैटर्न के सामाजिक जीवन को बदल दिया है। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संरचनाओं का वैश्वीकरण सभी युगों में हुआ। पहले, प्रक्रिया की गति धीमी थी।
वैश्वीकरण के कारण ही राज्य की अपनी मूल संस्कृति और अवधारणा भी प्रभावित होती है।
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