विश्व
खलित
आकाश की सभी गतिविधियों का प्रतिफल पृथ्वी पर ही प्रकट होता है।
आकाश की चांदनी धरती पर फैल कर ही सुंदर बनती है। आकाश की नस-नस को
अपनी गर्जनासे तड़का देने वाले बादल धरती पर बरस कर ही जीवन रस बनते हैं।
पृथ्वी माता है और आकाश पिता। आकाश में ही फैली है पृथ्वी की जड़े। पृथ्वी की
नस नस में व्याप्त जल ही उसका प्राण रस है। यही फूल है. यही गंध है, यही फल
है. यही फल का रस है। जल में जीवन का उद्भव हुआ है। जल ही जीवन का पोषण
करता है और रक्षा भी। ठंडा होने पर सारे तलहटी से जमुना प्रारंभ करते हैं और
धीरे-धीरे ऊपर सतह की ओर जा जमते जाते हैं। जल एकमात्र ऐसा ट्रव है जो ऊपर
की सतह से जमुना शुरू करता है। ऊपरी सतह बर्फ बन जाती है और नीचे पानी
और पानी में जीवन। यह है पानी की दयालुता जल की करुणा। मंगल ग्रह पर जल
इसी करुणा का अनुभव वैज्ञानिक को वहां जीवन होने के संकेत दे रहा है। वहा पर
हो सकती है तो बर्फ के नीचे पानी हो सकता है और पानी में कोई जीव चाहे
बैक्टीरिया ही क्यों ना हो।
प्रश्न- (क) आकाश की गतिविधियां पृथ्वी पर किस रूप में फलित होती है ?
ख) जल को जीवन क्यों कहा गया है?
ग) जल की किस विशेषता के कारण मंगलमय जीवन की संभावना धर्म-कर्म की जा रही है?
घ) आकाश को पिता कर्मों कहा गया है?
ढ) क्या बाढ़ को भी जल की दयालुता ही कहेंगे ? कर्मों?
च) उपयुक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखीए।
Answers
(क) आकाश की गतिविधियां पृथ्वी पर किस रूप में फलित होती है ?
उत्तर : आकाश की सभी गतिविधियों का प्रतिफल पृथ्वी पर ही प्रकट होता है।
ख) जल को जीवन क्यों कहा गया है?
उत्तर : जल ही जीवन का पोषण करता है और रक्षा भी। जल ही जीवन है | हमारा व जीव-जन्तुओं का अस्तित्व है। जल की बूंद – बूंद कीमती है | जल के बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता है | अगर हमने इसे खो दिया तो हम सब जीवित नहीं रहे पाएगे |
ग) जल की किस विशेषता के कारण मंगलमय जीवन की संभावना धर्म-कर्म की जा रही है?
उत्तर : जल में ही जीवन की उत्पत्ति संभव है| बिना जल के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती| पृथ्वी पर भी जीवन की शुरुआत जल के कारण ही संभव हो पाई| चूँकि मंगल पर बर्फ की संभावना व्यक्त की गयी है| अतः वहाँ जल अवश्य होगा और यदि वहाँ जल अवश्य होगा और यदि वहाँ जल मौजूद है, तो फिर वहाँ जीवन की संभावना बलवती हो जाती है|
घ) आकाश को पिता कर्मों कहा गया है?
उत्तर :आकाश को पिता कर्मों इसलिए कहा गया है कि जल ही जीवन का पोषण करता है और उसकी रक्षा भी| अतः जीवन का रक्षण एवं पोषण करने वाले जल को जीवन कहा जाता है| इसके अभाव में न तो जीवन का पोषण संभव है और न ही उसकी रक्षा|
ढ) क्या बाढ़ को भी जल की दयालुता ही कहेंगे ? कर्मों?
उत्तर :बाढ़ को भी जल की दयालुता ही कहेंगे क्योंकि दयालुता को स्पष्ट करते हुए गया है कि यह ऊपरी सतह से जमना प्रारंभ करता है जिसके कारण इसकी निचली सतह में जल का स्वरूप जल के रूप में ही रहता है, बर्फ नहीं बनता, जिससे जीवन बना रहता है|बाढ़ के संदर्भ में भी जल की दयालुता द्रष्टव्य हैं, क्योंकि बाढ़ के बहाने धरती की उपजाऊ मिट्टी ऊपर आ जाती है, जिससे सूखी, बंजर एवं अनुपजाऊ जमीन भी उपजाऊ बन जाती है|
च) उपयुक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखीए।
उत्तर : इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा-‘जीवन में जल का महत्व |