India Languages, asked by sahil23210, 4 months ago

विश्व में भारत की बढती लोकप्रियता पर आपने विचार लीखीये topic for spontaneous talk in hindi answer fast​

Answers

Answered by ananyasharma427
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Explanation:

भारत में जनसंख्या विस्फोट का असर अब दिखाई देने लगा है हमारी सुविधाएं सिकुड़ने लगी है और दिन प्रतिदिन जीवन मुश्किल होने लगा है भारत की राजधानी जनसंख्या विस्फोट से उबलने लगी है देश के मेट्रो शहरों का हाल भी बहुत खराब है दिल्ली में आए दिन लगे ट्रेटिको ने जीना हराम कर दिया है लोगों का पैदल चलना बहुत मुश्किल होने लगा है ॥

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Answered by Anonymous
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वर्तमान समय में हम दावे के साथ कह सकते है कि भारत विश्व की एक महत्वपूर्ण शक्ति बन चुका है । भारतवर्ष के लिए आर्थिक रूप से विकसित देशों से आगे निकलना इतना आसान न था, क्योंकि यह देश सैकड़ों वर्षों तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा रहा था ।

भारत के विश्व शक्ति बनने का मुख्य कारण उदारीकरण एवं निजीकरण की नीति को माना जा सकता है । हालाँकि भारत ने इस नीति को समग्र रूप से अपनाने में कुछ अधिक समय लिया, लेकिन आज वह दूसरे विकासशील एवं विकसित देशों से अधिक आगे इसलिए भी निकल सका है, क्योंकि इसने आर्थिक विकास के क्षेत्र में अपनी विशाल जनसंख्या को एक कारगर हथियार की तरह इस्तेमाल किया ।

आज अधिक आबादी से तात्पर्य अधिक-से-अधिक उपभोक्ता वस्तुओं का बाजार तथा उत्पादन प्रक्रिया में कम मजदूरी लागत से है, जिसे आर्थिक सफलता का एक मजबूत स्तम्भ कहा जा सकता है । लगभग वर्ष 1990 भारत विदेशी सहायता के लिए हाथ फैलाए दिखता था ।

भारत को तीसरी दुनिया का देश समझा जाता था और अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों में अन्य विकासशील देश भारत को आर्थिक रोल मॉडल की बजाय केवल दस्तावेज तैयार करने वाले विशेषज्ञ के रूप में देखते थे । ब्राजील जैसे कई विकासशील देश विकास की दौड में भारत को पीछे छोड़ रहे थे, लेकिन वर्ष 1991 में अपनाई गई उदारीकरण एवं निजीकरण की नीति ने देश की आर्थिक स्थिति में अछूत-मूल परिवर्तन ला दिया ।

इसी नीति का परिणाम था कि भारत की विशाल जनसंख्या, जो अभी तक बोझ लग रही थी, अब उसके लिए महत्वपूर्ण बन गई । अब भारत को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखा जाता है । इसे तथाकथित भावी विश्व शक्ति चीन का सबसे ताकतवर प्रतिद्वन्ही और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का भावी स्थायी सदस्य समझा जाता है ।

आज सवा अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का सबसे बहा लोकतान्त्रिक देश है । भारत ने समयानुकूल अपनी नीतियों में परिवर्तन करके निरन्तर उच्च आर्थिक विकास दर को बनाए रखा और अधिकांश सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की । वास्तव में, इस समय भारत एक ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिससे विश्व के सभी देश किसी-न-किसी रूप में प्रभावित हो रहे हैं ।

वर्ष 1974 में पोखरण में भारत द्वारा पहला परमाणु परीक्षण किए जाने का विश्व के विकसित देशों ने काफी विरोध किया था । फलस्वरूप हमारे देश को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, किन्तु वर्ष 2008 में हमारे देश और अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन अर्थात् चीन को छोड़कर पी-5 के सभी सदस्य देशों के मध्य हुए असैन्य परमाणु समझौतों से यह स्पष्ट हो जाता है कि अब वैश्विक पटल पर हमारी अनदेखा नहीं की जा सकती ।

अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद श्री बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के पहले राजकीय अतिथि के रूप में 24 नवम्बर, 2009 को भारत के प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का शानदार स्वागत करते हुए कहा था कि भारत एक परमाणु शक्ति है । वास्तव में, यह भारत के छठे परमाणु सम्पन्न राष्ट्र के तौर पर मिली अनौपचारिक मान्यता ही थी ।

यह अनायास नहीं है कि विश्व की एकमात्र महाशक्ति के रूप में अभी तक अपनी पहचान बनाए रखने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा ने नवम्बर, 2010 की अपनी भारत यात्रा के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि भारत अब उभरती हुई शक्ति नहीं, बल्कि उभर चुकी शक्ति बन गया है ।

क्रय-शक्ति क्षमता के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ भारत सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और व्यापार आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति एवं प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है । भारत एक महत्वपूर्ण विश्व शक्ति के रूप में स्थापित होने की दिशा में अग्रसर है ।

वर्ष 2010 में भारत-अमेरिका के बीच सम्पन्न परमाणु समझौता वास्तव में भारत की बढती वैश्विक शक्ति पर विश्व की महाशक्ति द्वारा लगाई गई मुहर थी । अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान लगभग 10 अरब डॉलर के जो व्यापारिक समझौते हुए उससे अमेरिका में लगभग पचास हजार लोगों को रोजगार सृजित कराए गए ।

इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत अब विश्व की महाशक्ति के सामने याचक की भूमिका में नहीं, बल्कि बराबरी के स्तर पर खड़ा हो गया । यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत-अमेरिका सम्बन्धों को 21वीं सदी के भविष्य से जोडते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि एशिया के नेतृत्व में भारत की अत्यधिक विशिष्ट भूमिका है ।

वर्ष 2010 में ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँचों स्थायी सदस्यों-अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन एवं रूस के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत का दौरा किया । इस दौरान कई तरह के द्विपक्षीय व्यापारिक एवं कारोबारी समझौते किए गए । ये समझौते इस बात के द्योतक हैं कि अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भारत की छवि एवं महत्व दोनों में गुणात्मक परिवर्तन आया है ।

फ्रांस के साथ 13 अरब डॉलर, अमेरिका के साथ 10 अरब डॉलर, चीन के साथ 16 अरब डॉलर और रूस एवं ब्रिटेन के साथ भी अरबों डॉलर के समझौते का होना, इसी का परिणाम था । इन समझौतों का आर्थिक महत्व होने के साथ-साथ कूटनीतिक महत्व भी अत्यधिक है

MARK BRAINLIEST

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