विश्व में भारत का स्थान अनुच्छेद
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वैसे तो इतिहास में हमने पढ़ा है कि भारत कभी “सोने की चिड़िया और विश्व गुरु” हुवा करता था , लेकिन हमने कभी देखा नहीं , इसका मतलब ये नहीं की हम इसपर भरोसा नहीं करते , एकदम करते हैं, हमारे दादा के पर-दादाओं ने देखा होगा, हमारा इतिहास भी हमें यही बताता है कि मुसलमानों और अंग्रेजों के आक्रमण से पहले हमारे देश के पास अकूत संपत्ति हुवा करती थी , जाहिर है की हमारे देश के राजाओं की आपसी लड़ाई ने इस देश को गुलामी के गर्त में धकेल दिया ।
अंग्रेज चले गए , देश आजाद हुवा लेकिन यहाँ के देशी अंग्रेजों ने फिर भी देश को नहीं छोड़ा, इनकी लूट निरंतर चलती रही, अब सम्पदाओं का संपत्ति से रिप्लेसमेंट तो चुका था और सारी पर्सनल संपत्ति विदेशों में जाने लगी, ये देसी अंग्रेज नेता खुद का पैसा बाहर रख कर खुद को धनी समझने लगे, आजादी के तुरंत बाद घोटाले हुवे(जीप घोटाला) , फिर इंदिरा गांधी सत्ता में आईं, उस समय लगा जैसे देश विकास की तरफ बढ़ रहा हो, देश का प्रभुत्व बढ़ा , ताकत बढ़ी, न्यूक्लियर टेस्ट हुवे, तरह तरह की नई संस्थाओं का संगठन हुवा (जैसे रॉ)।
फिर मोरार जी देसाई आये , रॉ की सारी मेहनत को गोलियों से छलनी कर दिया गया और उनको नसीब हुवा “निशान-ए-पाकिस्तान” , उसके बाद से तो कांग्रेस इस देश को डुबाती ही रही, उस समय से लेकर आखिरी चुनाव तक कांग्रेस ने जिस तरह से देश को बर्बाद किया है वो कभी भी माफ़ी के लायक नहीं है बस बीच में अटल जी की सरकार ने कुछ संभाला, उन्होंने भी न्यूक्लियर टेस्ट करके पूरी दुनिया को दिखाया की हम भारतवासी किसी से नहीं डरते ।
अब रही चुनाव के बाद की बात, “इस बार कुछ बहुत ही ख़ास सरकार मिली है देश को और बहुत ही ख़ास बहुमत के साथ , यही तो वजह है की सरकार इतने ख़ास काम करके देश को विश्व में ख़ास स्तर तक पंहुचा रही है।”
उदहारण सामने हैं , भारत की विदेश नीति जितनी सफल इस सरकार में रही वैसी तो पहले कभी नहीं रही , विदेश नीति ही क्यों , देश के अंदर भी जिस हिसाब से अनेक योजनाएं चल रही हैं, उससे देश का विकास तो निश्चित है , अब सवाल रहा भारत के प्रभुत्व का , तो वो निरंतर बढ़ता ही जा रहा है और बढ़ता ही जायेगा । देश के प्रभुत्व में सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता है एक स्थिर और शक्तिशाली सरकार का, भले ही विपक्षी कुछ भी कहें , इस सरकार की नीतियों का विरोध करें, उनकी तो यही पहचान है, क्योकि विपक्ष का मूल सिद्धांत ही होता है विरोध करना लेकिन अगर देश आर्थिक और सामरिक रूप से विकास कर रहा है तो विपक्षी क्या कहते हैं इससे तो न सरकार को फर्क पड़ना चाहिए और न ही देश की जनता को ।
ये सरकार देश को विकसित बनाने के एक मजबूत इरादे से आई है और ये अपनी नीतियों का सफल परिचय दे रही है , चाहे वो अपनी संस्कृति को वापस उसका स्थान दिलाने की बात हो , देश में विदेशों से इन्वेस्टमेंट लाने की बात हो , इराक से नर्सों को वापस लेन की बात हो , विदेशों से लड़ाकू विमान खरीदने की बात हो, चीजों के स्वदेशीकरण की बात हो, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से यूरेनियम लेने की बात हो , यमन से भारतीयों और विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने की बात हो या फिर नेपाल भूकम्प की बात हो , देश का प्रभुत्व जिस तेजी से पूरे दुनिया में स्थापित हो रहा है, वो एक शक्तिशाली सरकार और उसकी नीतियों की बदौलत ही है|
अगर देश को ऐसी ही सरकारें मिलती रहीं और विकास का दौर थम नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश फिर से विश्व गुरु होगा और सोने की चिड़िया कहलायेगा ।
hope it helps u mate.....
pls mark me brainliest
अंग्रेज चले गए , देश आजाद हुवा लेकिन यहाँ के देशी अंग्रेजों ने फिर भी देश को नहीं छोड़ा, इनकी लूट निरंतर चलती रही, अब सम्पदाओं का संपत्ति से रिप्लेसमेंट तो चुका था और सारी पर्सनल संपत्ति विदेशों में जाने लगी, ये देसी अंग्रेज नेता खुद का पैसा बाहर रख कर खुद को धनी समझने लगे, आजादी के तुरंत बाद घोटाले हुवे(जीप घोटाला) , फिर इंदिरा गांधी सत्ता में आईं, उस समय लगा जैसे देश विकास की तरफ बढ़ रहा हो, देश का प्रभुत्व बढ़ा , ताकत बढ़ी, न्यूक्लियर टेस्ट हुवे, तरह तरह की नई संस्थाओं का संगठन हुवा (जैसे रॉ)।
फिर मोरार जी देसाई आये , रॉ की सारी मेहनत को गोलियों से छलनी कर दिया गया और उनको नसीब हुवा “निशान-ए-पाकिस्तान” , उसके बाद से तो कांग्रेस इस देश को डुबाती ही रही, उस समय से लेकर आखिरी चुनाव तक कांग्रेस ने जिस तरह से देश को बर्बाद किया है वो कभी भी माफ़ी के लायक नहीं है बस बीच में अटल जी की सरकार ने कुछ संभाला, उन्होंने भी न्यूक्लियर टेस्ट करके पूरी दुनिया को दिखाया की हम भारतवासी किसी से नहीं डरते ।
अब रही चुनाव के बाद की बात, “इस बार कुछ बहुत ही ख़ास सरकार मिली है देश को और बहुत ही ख़ास बहुमत के साथ , यही तो वजह है की सरकार इतने ख़ास काम करके देश को विश्व में ख़ास स्तर तक पंहुचा रही है।”
उदहारण सामने हैं , भारत की विदेश नीति जितनी सफल इस सरकार में रही वैसी तो पहले कभी नहीं रही , विदेश नीति ही क्यों , देश के अंदर भी जिस हिसाब से अनेक योजनाएं चल रही हैं, उससे देश का विकास तो निश्चित है , अब सवाल रहा भारत के प्रभुत्व का , तो वो निरंतर बढ़ता ही जा रहा है और बढ़ता ही जायेगा । देश के प्रभुत्व में सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता है एक स्थिर और शक्तिशाली सरकार का, भले ही विपक्षी कुछ भी कहें , इस सरकार की नीतियों का विरोध करें, उनकी तो यही पहचान है, क्योकि विपक्ष का मूल सिद्धांत ही होता है विरोध करना लेकिन अगर देश आर्थिक और सामरिक रूप से विकास कर रहा है तो विपक्षी क्या कहते हैं इससे तो न सरकार को फर्क पड़ना चाहिए और न ही देश की जनता को ।
ये सरकार देश को विकसित बनाने के एक मजबूत इरादे से आई है और ये अपनी नीतियों का सफल परिचय दे रही है , चाहे वो अपनी संस्कृति को वापस उसका स्थान दिलाने की बात हो , देश में विदेशों से इन्वेस्टमेंट लाने की बात हो , इराक से नर्सों को वापस लेन की बात हो , विदेशों से लड़ाकू विमान खरीदने की बात हो, चीजों के स्वदेशीकरण की बात हो, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से यूरेनियम लेने की बात हो , यमन से भारतीयों और विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने की बात हो या फिर नेपाल भूकम्प की बात हो , देश का प्रभुत्व जिस तेजी से पूरे दुनिया में स्थापित हो रहा है, वो एक शक्तिशाली सरकार और उसकी नीतियों की बदौलत ही है|
अगर देश को ऐसी ही सरकारें मिलती रहीं और विकास का दौर थम नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश फिर से विश्व गुरु होगा और सोने की चिड़िया कहलायेगा ।
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