Geography, asked by sharmavishal1372, 10 months ago

विश्व में वर्षा के वितरण प्रतिरूप को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विश्व वर्षा के वितरण प्रारूप को किन-किन पेटियों में बाँटा गया है? वर्णन कीजिए।

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Answered by princektr
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Explanation:

बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। ... इसकी प्रमुख धारा भारत से बांग्लादेश में प्रवेश कर ...

Answered by kirtisingh01
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Answer:

विश्व में वर्षा के वितरण प्रतिरूप को स्पष्ट कीजिए।

अथवा

विश्व वर्षा के वितरण प्रारूप को किन-किन पेटियों में बाँटा गया है? वर्णन कीजिए।

  • विश्व में वर्षा का वार्षिक वितरण- विश्व में वर्षा का वितरण भौगोलिक उच्चावच यानी सरफेस रिलीफ और तापीय स्थिति यानी थर्मल सिचुएशन पर निर्भर करता है। यही कारण है कि विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर वर्षा की मात्रा निरन्तर कम होती जाती है। जल वर्षा के लिए तापमान तथा आर्द्रता दो महत्वपूर्ण कारक हैं। पृथ्वी के वे भाग, जहाँ पर तापमान अधिक होता है तथा वाष्पीकरण के लिए जल भी उपलब्ध होता है। वहाँ पर वर्षा अधिक होती है। भू-मध्यरेखीय प्रदेश इसके उपयुक्त उदाहरण हैं।

  • इसी प्रकार उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च दाब वाले भाग भी तापमान एवं आर्द्रता प्राप्त करते हैं एवं महाद्वीपों के पूर्वी भाग में वर्षा करते हैं तथा पश्चिमी भाग शुष्क रह जाता है। ध्रुवीय भागों में जल वर्षा की मात्रा कम, बल्कि हिमपात ही अधिक होता है। यदि समस्त ग्लोब पर दृष्टिपात किया जाय तो औसत वर्षा लगभग 97 सेन्टीमीटर होती है। लेकिन यह मात्रा सर्वत्र समान नहीं है, जैसे- भारत के थार मरुस्थल में यह 10 सेन्टीमीटर से कम तथा भारत के ही चेरापूँजी में 1200 सेन्टीमीटर से अधिक वर्षा होती है। इतना ही नहीं यह मात्रा भी वर्ष भर में समान रुप से प्राप्त नहीं होती है।

  • वार्षिक औसत का अधिकतर भाग कुछ महीनों में ही प्राप्त हो जाता है, जबकि शेष महीने सूखे होते हैं या छिट-पुट वर्षा होती है। सामान्यतः भू-मध्य रेखीय भागों में वर्ष भर गर्मी रहती है तथा वर्ष भर वर्षा होती है, जबकि मध्य अक्षांशों में शीत एवं ग्रीष्म ऋतुओं के स्पष्ट हो जाने के कारण वर्षा का वितरण मौसमी हो जाता है। सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु में वर्षा होती है तथा जाड़े के समय में वर्षा नहीं होती है। यद्यपि भू-मध्य सागरीय प्रदेश इसका अपवाद हैं, क्योंकि भू-मध्य सागरीय वर्षा जाड़े में ही होती है। और कभी-कभी वेस्टर्न डिसटर्वेन्सेस के कारण ये भू-मध्य सागरीय वर्षा पश्चिमोत्तर भारत के पंजाब-हरियाणा क्षेत्रों तक जाड़े के मौसम में हो जाती है।
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