Hindi, asked by nanditass2007, 20 days ago

विश्व महामारी का समाज पर आर्थिक प्रभाव पर निबंध​

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Answered by shivameltctp
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Explanation:

भारत, कोविड-19 के बाद की दुनिया के लिए नई औद्योगिक नीति का निर्माण करे. इस महामारी के फ़ौरन बाद, भारत के पास जो अवसर होगा वो कई पीढ़ियों में एक बार आता है, ताकि किसी औद्योगिक नीति को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सके.

कोविड-19, वैश्विक आर्थिक संकट, ऊर्जा सुरक्षा, सामरिक अध्ययन, वैश्विक मामले, औद्योगिक नीति, आर्थिक सहयोग, हिंद-प्रशांत क्षेत्र

अब ये बात एकदम साफ़ हो चुकी है कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी का पूरी दुनिया पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. फिलहाल, पक्के यक़ीन के साथ ये कहना बेहद मुश्किल है कि इस वायरस का प्रकोप किस हद तक होगा. ऐसे में नए कोरोना वायरस की महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का पूर्वाकलन करना तो और भी मुश्किल है. लेकिन, आज की तारीख़ में ये ज़रूर संभव है कि हम व्यवस्थागत तरीक़े से दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के उन संभावित क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं, जिन पर इस महामारी का विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर इस वायरस के प्रभाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल होने की बड़ी वजह ये है कि किसी भी तार्किक विश्लेषण के लिए उसे कई चरणों से गुज़रना पड़ता है. हर विषय से जुड़ी कई परिकल्पनाएं होती हैं, जिनका आकलन होता है.

विश्लेषण के पहले चरण में ख़ुद ये नया कोरोना वायरस आता है. विश्व की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर इसके कैसे दुष्प्रभाव पड़े हैं. ये भी जानना ज़रूरी है कि इनसे निपटने के लिए अलग-अलग राष्ट्रीय और उप राष्ट्रीय सरकारों ने क्या क्या क़दम उठाए हैं, ताकि कोरोना वायरस के प्रकोप को अधिक फैलने और आम जनता के लिए घातक होने से रोका जा सके. विश्लेषण के दूसरे चरण में इस वायरस से उत्पन्न महामारी के आर्थिक परिणामों, ख़ासतौर से विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं जैसे कि अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था पर इसका कैसा प्रभाव पड़ेगा. साथ ही साथ हमें ये भी देखना होगा कि दुनिया की बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (जैसे कि भारत) पर इस महामारी के क्या दुष्प्रभाव देखने को मिलेंगे. इस विश्लेषण का तीसरा चरण ये है कि विभिन्न देशों की घरेलू राजनीति पर इस वायरस का क्या असर होगा. इसमें राजनीतिक नेतृत्व के मज़बूत होने या कमज़ोर होने, संभावित नेतृत्व के उभरने और सामाजिक एकता पर इसके क्या प्रभाव होंगे, ये भी देखना ज़रूरी है. इस विश्लेषण के चौथे चरण में हम इस बात की समीक्षा करेंगे कि किस तरह के नतीजों से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के आयाम प्रभावित होंगे. क्या पहले से बहती आ रही बदलाव की बयार आगे भी चलेगी या फिर इसके परिणाम इसके उलट

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