विश्व शांति पर भारत का योगदान
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भारत ने शान्ति बनाये एखने का भरसक उपाय किया है और वह इस बात पर बल देता रहा है कि मतभेदों को शान्तिपूर्ण वार्तालाप द्वारा बातचीत द्वारा निपटाया जाये, अस्त्र-शस्त्र के प्रयोग से, युद्ध से कोई समस्या हल नहीं हो सकती। उसने अपने इस कथन को अपनी विदेश नीति भी बनाया है। पाकिस्तान के कश्मीर को लेकर तिनं बार भारत पा आक्रमण किया और उसे सजग, सशक्त भारतीय सेना के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। आज भी वह आतंकवाद को प्रश्रय और सहायता देकर अप्रत्यक्ष युद्ध कर रहा है। फिर भी हमारे प्रधानमंत्री दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं, दोनों देशों के बीच मैत्री, सौहार्द, सहयोग का प्रस्ताव रखते हैं। यह सब विश्व शान्ति के लिए ही तो किया जा रहा है। श्रीलंका में एल.टी.टी.ई. ने राजीव गांधी के शान्ति-प्रयासों को अपना विरोध समझ कर उनकी हत्या करा दी और भारत ने शान्ति की वेदी पर एक उत्साही, युवा, देशभक्त, विश्व-शांति के समर्थक नेता का बलिदान कर दिया। उसकी शान्ति-नीति और शान्ति-स्थापना के प्रयासों पर विश्व के राष्ट्रों और संयुक्त राष्ट्र संघ को विश्वास भी है। इसी विश्वास के कारण जब कभी दो देशों के बीच संघर्ष हुआ, भारत को शान्ति स्थापित करने के लिए पुकारा गया। युद्धग्रस्त कोरिया में युद्ध-बन्दियों के आदान-प्रदान के लिए हमने संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेश पर अपने सैनिक भेजे और उन्होंने अपना कर्त्तव्य पूरी ईमानदारी के साथ पूरा किया। उसके बाद भी हमारी सैन्य टुकड़ियाँ शान्ति कार्यों के लिए देशों में गयी हैं। सोमालिया, यूगाण्डा में भी इन टुकड़ियों ने बड़ी कुशलता से अपना कर्त्तव्य सम्पादित किया है। ईराक में एकतरफा युद्ध छेड़कर, उसे ध्वस्त कर अमरीका आज भी भारत से आग्रह कर रहा है कि वह अपनी सेना ईराक भेज कर शान्ति-स्थापना में सहायता दे। भारत ने सशक्त अमरीका का यह प्रस्ताव ठुकराकर अपने साहस और तटस्थता का परिचय दिया है। वह चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की शक्ति कम न हो, उसका वर्चस्व बना रहे, ताकि किसी एक देश की मनमानी, दादागिरी न चल सके। इस प्रकार भारत एक ओर अहिंसा, प्रेम, विश्वबंधुत्व, सहयोग की बात ख कर विश्व में शान्ति का वातावरण बनाये रखना चाहता है तथा दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र संघ के सहयोग से अपनी शान्ति-सेना भेजकर संघर्षरत देशों में समझौता कराने तथा वहाँ शान्ति का वातावरण पुनः स्थापित करने के लिए भी तैयार है। निश्चय ही भारत की यह नीति विश्व-शान्ति की स्तापना में सहायक होगी।