विश्व व्यापार संगठन में भारत की सदस्यता का कोई औचित्य नहीं है इसके पक्ष में तर्क दीजिए
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Answer:
WTO की वैश्विक प्रणाली बातचीत के माध्यम से व्यापार बाधाओं को कम करती है एवं भेदभाव रहित सिद्धांत के अंतर्गत कार्य करती है।
परिणामस्वरूप उत्पादन की लागत कम हो जाती है (क्योंकि उत्पादन में उपयोग किये जाने वाली आयातित वस्तुएँ सस्ती होती हैं), तैयार वस्तु एवं सेवाओं की कीमतें कम हो जाती हैं, अधिक विकल्प उपलब्ध होते हैं तथा इन सब के फलस्वरूप जीवन यापन पर खर्च में कमी आती है।
Explanation:
WTO की व्यापार प्रणाली के अंतर्निहित को समझना इस तथ्य को दर्शाता है कि अधिक मुक्त व्यापार आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है तथा देशों को विकसित करने में सहायक हो सकता है।
इस मायने में वाणिज्य एवं विकास एक दूसरे के लिये अच्छे होते हैं।
इसके अतिरिक्त WTO समझौते ऐसे प्रावधानों से परिपूर्ण हैं जो विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखते हैं।
विश्व व्यापार संगठन शक्तिहीन देशों की आवाज़ बन सकता है: छोटे देश विश्व व्यापार संगठन के बिना कमज़ोर होंगे। सहमत नियमों, सर्वसम्मति से निर्णय लेने एवं गठबंधन निर्माण से मोलभाव की शक्ति के अंतर कम हो जाते हैं।
गठबंधन समझौतों में विकासशील देशों की एक मज़बूत आवाज़ बनता है।
परिणामी समझौतों का अर्थ है कि सबसे शक्तिशाली देशों सहित सभी देशों को नियमों पर चलना होगा। शक्ति के शासन के बजाय कानून का शासन स्थान लेता है।
विश्व व्यापार संगठन पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को प्रोत्साहित कर सकता है: व्यापार एक साधन से अधिक कुछ नहीं है। WTO समझौते व्यापार को प्रोत्साहित करने वाले हालात बनाने का प्रयास करते हैं जो हम वास्तव में चाहते हैं। इनमें एक स्वच्छ एवं सुरक्षित वातावरण तैयार करने तथा सरकारों को इन उद्देश्यों का उपयोग करके संरक्षणवादी उपाय पेश करने से रोकना शामिल हैं।