विश्व युद्ध के कारण क्या थे? इसमें शामिल देशों के नाम बताएं
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पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका तीन महाद्वीपों और समुद्र, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। यह युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। करीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अनुमानतः एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। युद्ध समाप्त होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुईं और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति' बन कर उभरा।
युद्ध में जर्मनी की हार के पश्चात 18 जून 1919 में पेरिस शांति सम्मेलन हुआ जिसमें 27 देश सम्मिलित हुए। अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस ने मुख्य नेतृत्व निभाया । जर्मनी पर वर्साय की संधि थोप दी गई ।
द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था।[1]
हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था[2] किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया।
जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया।
सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया।
सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया।
1914 से 1919 के मध्य यूरोप, एशिया और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के जल, थल और आकाश में प्रथम विश्व युद्ध लड़ा गया. इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्वयुद्ध कहते हैं. प्रथम विश्वयुद्ध लगभग 52 महीने तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था. करीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अनुमानतः एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए.
इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे. विश्व युद्ध खत्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और उस्मानिया ढह गए. यूरोप की सीमाएं फिर से निर्धारित हुईं और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'सुपर पावर' बन कर उभरा. प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े तथ्य इस प्रकार हैं:
(1) प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 ई. में हुई.
(2) प्रथम विश्वयुद्ध 4 वर्ष तक चला.
(3) 37 देशों ने प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लिया.
(4) प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिंनेंड की हत्या था.
(5) ऑस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में हुई.
(6) प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान दुनिया मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र दो खेमों में बंट गई.
(7) धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी के अलावे ऑस्ट्रिया, हंगरी और इटली जैसे देशों ने भी किया.
(8) मित्र राष्ट्रों में इंगलैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस तथा फ्रांस थे.
(9) गुप्त संधियों की प्रणाली का जनक बिस्मार्क था.
(10) ऑस्ट्रिया, जर्मनी और इटली के बीच त्रिगुट का निर्माण 1882 ई. में हुआ.
(11) सर्बिया की गुप्त क्रांतिकारी संस्था काला हाथ थी.
(12) रूस-जापान युद्ध का अंत अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्टा से हुआ.
(13) मोरक्को संकट 1906 ई. में सामने आया.
(14) प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने रूस पर 1 अगस्त 1914 ई. में आक्रमण किया.
(15) जर्मनी ने फ्रांस पर हमला 3 अगस्त 1914 ई. में किया.
(16) इंग्लैंड प्रथम विश्व युद्ध में 8 अगस्त 1914 ई. को शामिल हुआ.
(17) प्रथम विश्वथयुद्ध के समय अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन थे.
(18) जर्मनी के यू बोट द्वारा इंगलैंड लूसीतानिया नामक जहाज को डुबोने के बाद अमेरिका प्रथम विश्ववयुद्ध में शामिल हुआ. क्योंकि लूसीतानिया जहाज पर मरने वाले 1153 लोगों में 128 व्यक्ति अमेरिकी थे.