विश्वबंधुता वर्तमान युग की मांग इस विषय पर निबंध
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भारत के आधार में शामिल है, "विश्व बंधुत्व की भावना"। यह वही भारत है जहां "वसुधैव कुटुम्बकम" की परंपरा पर चलकर समूचे विश्व को एक कुटुम्ब या परिवार के रूप में माना गया है। लेकिन हाल ही आए एक शोध परिणाम ने भारत की इस भावना पर सवाल खड़े करते हुए इसे दुनिया के चार सर्वाधिक असहिष्णु देशों में शामिल किया है। भारतीय लोगों के सहिष्णु या असहिष्णु होने का आधार, उनकी विधर्मी पड़ोसी के प्रति सोच को लेकर बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 43.5 फीसदी लोग ऎसे हैं जो अन्य किसी जाति वाले व्यक्ति को अपना पड़ोसी बनाना पसंद नहीं करते। वहीं पड़ोसी पाकिस्तान को 5 से 9.9 वाले सहिष्णु देशों के वर्ग में रखा गया है....
हा ल ही एक सर्वे में कहा गया है कि ब्रिटेन इस पृथ्वी पर सबसे अधिक जातिवाद सहिष्णु देशों में शामिल है। इस वैश्विक सामाजिक दृष्टिकोण सर्वे में दावा किया गया है कि सबसे अधिक जातिवाद असहिष्णु लोग विकास-शील देशों में हैं, जिनमें बांग्लादेश, जॉर्डन, भारत शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं।
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विश्व बंधुता वर्तमान युग की मांग :
अयं निज:परोवेति गणना लघुचेतसाम ,
उदार चरितान्नांतू वसुधैव कुटुम्बकम II
ये तो कब का लिखा जा चूका है Iपहले तो लोग शायद अमल करते थे अब बिलकुल भी नहीं करते Iआशय यह है कि, यह मेरा है यह दूसरे का है ऐसी गिनती जो छोटी बुद्धि वाले होते हैं वो करते हैं Iउदार चरित वालों के लिये तो पूरी दुनिया ही अपने परिवार की तरह है I
इसी की जरूरत है तभी विश्वबंधुत्वा की स्थापना हो सकती है आज भाई पर भाई टूट रहे हैं Iआज के श्रवन कुमार माता पिता को घर से निकाल रहे हैं I जो जन्म दाता है पालनकर्ता है, आशय हैआज जो है उस पर आज की युवा पीढ़ी उनका संहार कर रही है जब परिवार की यह स्थति है तो पूरे को बंधु बनाना कितना मुश्किल काम है Iपहले लोग घर में चिराग जलाते हैं उसके बाद ही बहार का चिराग जलाते हैं Iपहले घर के हर रिश्ते मजबूत हों जिस तरह एक समय में था उसके बाद ही घर से परिवार ,परिवार से समाज समाज से राज्य ,राज्य से देश और देश से विश्व I इन सोपानों पर चाहकर विश्व बंधुत्व की भावना लायी जा सक्यती है किन्तु समय लगेगा I
वर्तमान युग की मांग तो है लेकिन इतनी गहराई खाई को काटना आसान काम नहीं है I हाँ इसे असंभव न समझे अगर आप में क्षमता है I आप अपने घर से शुरू कीजिये एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी I