विश्वस्मिन् जगति गताहमस्मि, विश्वस्मिन् जगति सदा दृश्ते।
विश्वस्मिन् जगाति करोमि कर्म, कर्मण्या भारतजनताऽहम्॥
अन्वयः अहम् (i) …………………… जगति गता अस्मि, (अहम्) सदा विश्वस्मिन् (ii) …………………… दृश्ये। (अहम्) विश्वस्मिन् जगति (iii) …………………… करोमि, अहम् (iv) …………………… भारतजनता (अस्मि )
मज्जुषा: कर्म, विश्वस्मिन्, कर्मण्या, जगति
Answers
विश्वस्मिन् जगति गताहमस्मि, विश्वस्मिन् जगति सदा दृश्ते।
विश्वस्मिन् जगाति करोमि कर्म, कर्मण्या भारतजनताऽहम्॥
अन्वयः
अहम् (i) विश्वस्मिन् जगति गता अस्मि, (अहम्) सदा विश्वस्मिन् (ii) जगति दृश्ये। (अहम्) विश्वस्मिन् जगति (iii) कर्म करोमि, अहम् (iv) कर्मण्या भारतजनता (अस्मि )
हिन्दी अनुवाद : मैं भारतीय जनता सम्पूर्ण संसार में व्याप्त हूँ। मैं संम्पूर्ण संसार में हमेशा दिखलाई देती हूँ। मैं कर्मशील भारतीय जनता सम्पूर्ण संसार में कर्म करती हूँ।
भावार्थ- प्रस्तुत श्लोक में कवि कहता है कि भारतीय जनता सम्पूर्ण संसार में रहती है तथा वह सदैव संसार में सर्वत्र दिखाई देती है। भारतीय जनता कर्मशील है, अत: वह सम्पूर्ण संसार में हमेशा कर्म करती रहती है।
अतिरिक्त जानकारी :
यह प्रश्न पाठ भारतजनताऽहम् - मैं भारतीय जनता हूं से लिया गया है।
भारतजनताऽहम् काव्य डाॅ रमाकांत शुक्ला द्वारा रचित है। इस पाठ में कुल 7 पद्य हैं जिनमें कवि ने स्वयं को भारतीय जनता के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा है कि भारतीय जनता स्वाभिमानी, विनम्र, शालीन , वज्र से भी कठोर और फूल से भी अधिक कोमल है। भारत के लोग समस्त संसार में रहते हैं तथा सारी पृथ्वी को ही अपना परिवार मानते हैं
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत-(प्रश्नों का उत्तर पूर्ण वाक्य में लिखिए-)
(क) भारतजनताऽहम् कैः परिपूता अस्ति?
(ख) समं जगत् कथं मुग्धमस्ति?
(ग) अहं किं किं चिनोमि?
(घ) अहं कुत्र सदा दृश्ये
(ङ) समं जगत् कैः कै: मुग्धम् अस्ति?
brainly.in/question/17971764
सन्धिविच्छेदं पूरयत-(सन्धि विच्छेद पूरा कीजिए)
(क) विनयोपेता = विनय + उपेता
(ख) कुसुमादपि = …………………. + ………………
(ग) चिनोम्युभयम् = .चिनोमि + …………………
(घ) नृत्यैर्मुग्धम् = ……………………… + मुग्ध म्।
(ङ) प्रकृतिरस्ति = प्रकृतिः + ……………..
(च) लोकक्रीडासक्ता = लोकक्रीडा + …………………
brainly.in/question/17971889