World Languages, asked by mugeshleostar, 6 months ago

विश्वव्यापकः कोरोना विषाणुः इति विषये लघु अनुच्छेदं लिखत

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Answered by siddhant11996
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Explanation:

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की.

इसमें ज़रूरी सेवाओं के अलावा सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं. कारोबार थम गया है, दुकानें बंद हैं, आवाजाही पर रोक है.

पहले से मुश्किलें झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना वायरस का हमला एक बड़ी मुसीबत लेकर आया है.

पिछले साल की ही बात करें तो ऑटोमोबाइल सेक्टर, रियल स्टेट, लघु उद्योग समेत असंगठित क्षेत्र में सुस्ती छाई हुई थी. बैंक एनपीए की समस्या से अब तक निपट रहे हैं.

सरकार निवेश के ज़रिए, नियमों में राहत और आर्थिक मदद देकर अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने की कोशिश कर रही

लेकिन, इस बीच कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए हालात ने जैसे अर्थव्यवस्था का पहिया जाम कर दिया है. ना तो कहीं उत्पादन है और ना मांग, लोग घरों में हैं और दुकानों पर तले लगे हैं.

घटा जीडीपी वृद्धि का अनुमान

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने एक अप्रैल से शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष (2020-21) के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया गया है.

इससे पहले 6.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था था. ये रेटिंग्स सोमवार को जारी की गई हैं.

इससे अगले साल 2021-22 के लिए रेटिंग एजेंसी ने 6.9 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है. इससे पहले ये अनुमान 7 प्रतिशत था.

स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के मुताबिक़, एशिया-प्रशांत क्षेत्र को कोविड-19 से क़रीब 620 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.

सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए की है. इससे लोग अपने घरों में रहेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहेगी जिससे वायरस कम से कम फैलेगा.

लॉकडाउन का गंभीरता से पालन कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जीत तो दिला सकता है लेकिन ये भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर डालेगा, ये देखना होगा

Answered by asajaysingh12890
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कोरोना विषाणु (वायरस) के प्रकोप से मुक्त होने के बाद भी स्वास्थ्य और आर्थिक मोर्चे पर व्यापक संकट से निपटने के लिए भारत सरकार को अपनी नीतियाँ बनानी होंगी

विश्वव्यापकः कोरोना विषाणुः

जैसे-जैसे भारत में 12,000 से अधिक कोविड-19 के मामलों की पुष्टि हुई है और तेज़ी से इस संख्या में वृद्धि भी हो रही है तो भी कोरोना विषाणु की नई बीमारी के कारण देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य के सामने भारी खतरा मंडराने लगा है. भारत की इस महामारी के मॉडल पर आधारित कुछ अनुमानों के अनुसार 400 मिलियन से अधिक भारतीय इस साल संक्रमित हो जाएँगे. इस आँकड़े से आसानी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में कोविड-19 के कारण मृतकों की संख्या मौजूदा महामारी से इस समय संक्रमित विश्व के किसी भी भाग से कहीं अधिक होगी. इसके कारण जो आर्थिक नुक्सान और दुष्परिणाम होंगे, उसका असर भी स्वास्थ्य के परिणामों पर पड़ेगा. ये परिणाम बहुत भयावह हो सकते हैं, इसलिए आवश्यक है कि इस संबंध में व्यापक तौर पर नीतिगत निर्णय लिये जाएँ.

कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को पूरी तरह तैयार रहना होगा ताकि गंभीर मामलों से निपटा जा सके. सही तो यही होगा कि इस समय दो बड़ी प्राथमिकताएँ होनी चाहिए.

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