Hindi, asked by ajeeva5785, 2 days ago

विशन के बारे में पाँच बातें लिखो​

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Answered by pranithamuniswamy
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डर के बावजूद उसने आगे बढ़ना जारी रखा। अचानक शिकारी उसके काफी नजदीक आ गया। वह गुस्से में चिल्ला रहा था, “मैं तुझे देख लूंगा, तू मेरा शिकार चुराकर नहीं ले जा सकता।” बिशन के लिए आगे निकल भागने का रास्ता नहीं था। अतः उसने खेतों के छोटे रास्ते, जो काँटेदार झाड़ियों से भरे थे, से जाना निश्चित किया

Answered by geetasunil62
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सुबह सुबह दस वर्ष का बिशन घर से बाहर निकल आया। वह रोज इसी समय, इसी रास्ते से कर्नल दत्ता के फार्म हाउस पर उनकी पत्नी से पढ़ने जाता है। अचानक उसे गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी। थोड़ी ही देर बार दो-तीन गोलियाँ एकसाथ चलीं। गोलियों की आवाज़ से पूरी घाटी गूंज गई। बिशन डर गया और पेड़ों की आड़ में छिप गया। अभी वह सोच ही रहा था कि गोली किसने और क्यों चलाई होगी कि तभी एक और गोली की आवाज़ आई। अचानक बिशन को गोली चलने का कारण समझ में आ गया। दरअसल शिकारी गेहूं के खेतों में दाना चुगते तीतरों को मारने के लिए उन पर गोली चलाते हैं।

बिशन दुखी हो गया। वह समझ गया कि शिकारी ही तीतरों पर गोलियाँ चला रहे हैं। फिर तो वह पेड़ों के बीच से निकलकर खेतों के किनारे-किनारे चलने लगा। चलते-चलते उसने शिकारियों को सबक सिखाने का निर्णय ले लिया। तभी उसकी नज़र एक घायल तीतर पर पड़ गई। उसने स्वेटर उतारकर उस पर (तीतर पर) डाल दिया और जब वह स्वेटर में फँस गया तो उसे पकड़ लिया। उसने उसे सीने से चिपका लिया और तेजी से पहाड़ी की ओर दौड़ पड़ा ताकि किसी शिकारी की नज़र उस पर न पड़े। लेकिन जिस बात का उसे डर था वही हुआ। वह कुछ ही दूर गया होगा कि पीछे से किसी की भारी आवाज़ सुनाई दी, “लड़के, रुक जा, नहीं तो मैं गोली मार दूंगा।” बिशन का दिल तेजी से धड़कने लगा। डर के बावजूद उसने आगे बढ़ना जारी रखा। अचानक शिकारी उसके काफी नजदीक आ गया। वह गुस्से में चिल्ला रहा था, “मैं तुझे देख लूंगा, तू मेरा शिकार चुराकर नहीं ले जा सकता।” बिशन के लिए आगे निकल भागने का रास्ता नहीं था। अतः उसने खेतों के छोटे रास्ते, जो काँटेदार झाड़ियों से भरे थे, से जाना निश्चित किया। बहुत संभलकर चलने के बावजूद उसके हाथ-पैर पर काँटों की बहुत-सी खरोंचें उभर आईं। लेकिन किसी तरह वह कर्नल दत्ता के फार्म हाउस के अंदर पहुँच ही गया। तीतर को वह सीने से लगाए रहा।

फार्म हाउस में खामोशी थी। एकाएक कर्नल दत्ता का अल्सेशियन कुत्ता भौंकने लगा। बिशन समझ गया कि शिकारी इधर ही आ रहे हैं। उसने झट तीतर को सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया और बाहर निकल गया और शिकारियों की नजर से बचने के लिए खपरैल की ढलावदार छत पर चिमनी के पीछे छिपकर बैठ गया। यहाँ उसे कोई नहीं देख सकता था लेकिन वह सब कुछ देख सकता था। वह देख रहा था कि कर्नल साहब का अल्सेशियन कुत्ता कैसे इधर ही चले आ । रहे शिकारियों को देखकर भौंके जा रहा था। आखिरकार शिकारी कर्नल साहब के नजदीक पहुँच ही गए। उन्होंने कर्नल साहब से कहा कि अभी-अभी एक लड़का हमारे शिकार तीतर को लेकर आपके यहाँ छिपा है, हम उसे ही ढूँढ़ रहे हैं। कर्नल साहब आपे से बाहर हो गए। उन्होंने शिकारियों को खूब डाँटा और वहाँ से भगा दिया। बिशन चिमनी के पीछे से देख और सुन रहा था। शिकारियों के जाते ही वह घायल तीतर को लेकर घर की मालकिन (कर्नल दत्ता की पत्नी) के पास पहुँच गया। कर्नल साहब भी वहाँ पहुँच गए। फिर दोनों ने मिलकर तीतर का उपचार किया। कर्नल साहब की पत्नी ने उसे दलिया खिलाया। फिर बिशन उसे लेकर अपने घर चला गया।

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