वैशवीकरण के चार लाभ
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1. आर्थिक असन्तुलन
वैश्वीकरण के कारण विश्व मे आर्थिक अन्तुलन पैदा हो रहा है। गरीब राष्ट्र अधिक गरीब एवं अमीर राष्ट्र अधिक सम्पन्न हो रहे हैं। इसी प्रकार देश मे भी गरीब एवं अमीर व्यक्तियों के बीच विषमता बढ़ रही हैं।
2. देशी उधोगों का पतन
वैश्वीकरण के कारण स्थानीय उधोग धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे हैं। विदेशी माल की प्रतियोगिता के सामने देशी उधोग टिक नही पाते हैं। उनका माल बिक नही पाता है या घाटे मे बेचना पड़ता है। यही कारण है कि देश मे कई उधोग बन्द हो गये है या बन्द होने की कगार पर हैं।
3. बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभुत्व
विश्व के औधोगिक जगत पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों (मल्टी नेशनल) का प्रभुत्व एवं शिकंजा बढ़ता जा रहा है। ये बड़ी-बड़ी कम्पनियां स्थानीय उधोगों को निगलती जा रही है एवं स्थानीय उधोग या तो बन्द हो रहे है या इनके अधीन जा रहे है जैसे-कोका कोला कम्पनी ने भारत के थम्सअप, लिम्का के उत्पादन को अपने अधीन कर लिया हैं।
4. बेरोजगारी में वृद्धि
वैश्वीकरण के कारण विदेशी माल मुक्त रूप से भारतीय बाजारों मे प्रवेश कर गया है। परिणामस्वरूप स्थानीय उधोग बन्द हो रहे है एवं बेरोजगारी (बेकारी) बढ़ रही हैं। देश मे औधोगिक श्रमिकों की संख्या घट रही हैं।