विष्णु प्रभाकर के अन्य एकांकी ओं की सूची बनाइए और किसी एक एकांकी का सार संक्षेप में लिखिए
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विष्णु प्रभाकर के नाटक (एकांकी) की सूची
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- अब और नही
- टूट्ते परिवेश
- गान्धार की भिक्षुणी
- अशोक
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- सीमा रेखा
विष्णु प्रभाकर के एकांकी “सीमा-रेखा” का सारांश
‘सीमा रेखा’ एकांकी ‘विष्णु प्रभाकर’ द्वारा लिखित एक राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत एकांकी है। हमारे हाथ के प्रजातंत्र में जो विसंगतियां हैं, उसका इस एकांकी के माध्यम से चित्रण किया गया है। एकाकी की कथावस्तु में एक ही परिवार के चार भाइयों की कहानी है। जिनके बीच अपने स्वार्थों के लिए संघर्ष होता है। यह चारों भाई अलग-अलग व्यवसाय से संबंध रखते हैं। एक भाई लक्ष्मीचंद्र व्यापारी है तो दूसरा भाई शरद चंद्र मंत्री है तो तीसरा भाई सुभाष चंद्र नेता है और छोटा भाई विजय पुलिस इंस्पेक्टर है।
बड़े भाई लक्ष्मीचंद्र के पुत्र लक्ष्मी चंद का एक पुत्र है। जिसका नाम अरविंद है। वह 10 वर्ष का बालक है। एक दिन एक बैंक के पास कुछ आंदोलनकारियों की भीड़ बेकाबू हो जाती है। पुलिस को उन पर गोली चलानी पड़ती है, लक्ष्मी चंद्र का पुत्र अरविंद गोलीबारी में मारा जाता है। लक्ष्मी चंद्र और उनकी पत्नी अन्नपूर्णा इसका दोष विजय के देते हैं जो कि पुलिस इंस्पेक्टर है। भीड़ आक्रामक हो रही थी और आगे बढ़ रही है।
विजय और सुभाष भीड़ के सामने खड़े होकर उसे रोकने का प्रयास करते हैं। अचानक भीड़ आगे बढ़ती है, विजय भीड़ पर गोली चलाने से इंकार देता है। भीड़ उन लोगों पर हमला कर देती है और विजय और सुभाष उसमें भीड़ के द्वारा मारे जाते हैं।
इस एकांकी के माध्यम से चारों भाइयों के स्वार्थ और उनके स्वार्थ के कारण उत्पन्न परिस्थितियों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया गया है। उन चारों भाइयों के व्यवसाय उनके कार्य और उनके कर्तव्य एक दूसरे के विपरीत है। इस कारण उनमें आपस में संघर्ष पनपता है जिसमें तीन भाई मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार एक ही परिवार के तीन सदस्य मारे जाते हैं।
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