Hindi, asked by sk8514403, 4 days ago

विषाणु द्वारा उत्पन्न एक रोग का नाम लवाणा उपचार तथा क्याव के उपाय बताइए​

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Answered by manthana7
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विषाणु रोग : एड्स एड्स (AIDS) एक भयंकर, प्रायः लाइलाज तथा अत्यन्त गम्भीर रोग है। एड्स तथा उसके लक्षण (AIDS and its Symptoms) – HIV जो एड्स (AIDS) रोग उत्पन्न करने वाला विषाणु है, की मुख्य लक्ष्य कोशिकाएँ (target cells) T, लिम्फोसाइट्स (TA lymphocytes) होती हैं। इस प्रकार विषाणु शरीर में पहुँचकर इन कोशिकाओं को संक्रमित करता है और एक प्रोवाइरस (provirus) निर्मित करता है जो पोषद कोशिका (host cell) के डी० एन० ए० में समाविष्ट हो जाता है। इस प्रकार पोषद कोशिका अन्तर्हित संक्रमित (latent infected) हो जाती है। समय-समय पर प्रोवाइरस सक्रिय होकर पोषद कोशिका में सन्तति विरिओन्स (daughter virions) का निर्माण करते रहते हैं, जो पोषद कोशिका से मुक्त होकर नयी T, लिम्फोसाइट्स को संक्रमित करने में पूर्णतः सक्षम होते हैं। इस प्रकार लिम्फोसाइट की क्षति से मनुष्य की प्रतिरक्षण क्षमता धीरे-धीरे दुर्बल होती जाती है। सामान्यतः 4-12 वर्षों तक तो व्यक्तियों में HIV के संक्रमण का पता तक नहीं चलता। कुछ व्यक्तियों को संक्रमण के कुछ हफ्तों के बाद ही सिरदर्द, घबराहट, हल्का बुखार आदि हो सकता है। धीरे-धीरे प्रतिरक्षण क्षमता कमजोर होने से जब व्यक्ति पूर्ण रूप से एड्स (AIDS) अर्थात् उपार्जित प्रतिरक्षा-अपूर्णता संलक्षण (Acquired Immuno-Deficiency Syndrome) का शिकार हो जाता है तो उसमें भूख की कमी, कमजोरी, थकावट, पूर्ण शरीर में दर्द, खाँसी, मुख व आँत में घाव, सतत ज्वर (persistant fever) एवं अतिसार (diarrhoea) तथा जननांगों पर मस्से हो जाते हैं। अन्ततः इनका प्रतिरक्षण तन्त्र इतना दुर्बल हो जाता है कि व्यक्ति अनेक अन्य रोगों से ग्रसित हो जाता है तथा उसकी मृत्यु हो जाती है। एड्स रोग का संचरण (Transmission of AIDS) – रोगी के शरीर से स्वस्थ मनुष्य के शरीर के साथ रुधिर स्थानान्तरण, यौन सम्बन्ध, इन्जेक्शन की सूई का परस्पर उपयोग, रोगी माता से उसकी सन्तानों में संचरण आदि एड्स रोग के विषाणु (virus) के संचरण की विधियाँ हैं। एड्स का रोगनिदान एवं उपचार (Diagnosis and Treatment of AIDS) – अभी तक एड्स (AIDS) के लिए किसी प्रभावशाली स्थाई उपचार की विधि का विकास नहीं हो पाया है। इसीलिए संसार भर में सैकड़ों लोगों की मृत्यु प्रतिदिन इस रोग से हो जाती है। रुधिर में प्रतिरक्षी प्रोटीन की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति का पता सीरमी जाँच (serological test) द्वारा लगाकर, HIV के संक्रमण के होने या न होने का पता लगाया जाता है। इन प्रतिरक्षियों की सीरमी जाँच के लिए ELISA किट (एन्जाइम सहलग्न प्रतिरोधी शोषक जाँच किट) का निर्माण किया गया है। मुम्बई के कैन्सर अनुसन्धान संस्थान (Cancer Research Institute) ने “HIV-1 तथा HIV-II W. Biot” किट बनाया। लगभग तीस औषधियों में AIDS के इलाज की क्षमता का पता लगाया गया है; जैसे-जाइडोवुडाइन, ऐजोडोथाइमिडीन (Zidovudine, Azodothymidine–AZT), XQ – 9302, ऐम्फोटेरिसीन आदि। एइस पर नियन्त्रण (Control on AIDS) – एड्स पर नियन्त्रण के लिए अभी तक कोई टीका (vaccine) आदि नहीं बनाया जा सका है। इसे निम्न प्रकार से नियन्त्रित किया जा सकता है – 1. किसी अनजाने व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए। 2. एक बार उपयोग की गई इन्जेक्शन की सूई का प्रयोग दोबारा नहीं किया जाना चाहिए। 3. एड्स संक्रमित व्यक्ति को किसी भी तरह से रुधिर दान नहीं करना चाहिए। 4. रुधिर आधान से पूर्व रुधिर का HIV मुक्त होना आवश्यक है अर्थात् इसकी पूर्ण जाँच अनिवार्य होनी चाहिए।

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