India Languages, asked by siddheshsarvade100, 6 months ago

'वैष्णव जन तो तेने कहिए, पीर पराई जाने रे।" इस पंक्ति का पाठ के संदर्भ में आशय
स्पष्ट कीजिए।​

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Answered by sushmitha8318
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Answer:

वैष्णव जन तो तेने रे कहिए जे पीड़ पराई जाणे रे।’ (सच्चा वैष्णव वही है, जो दूसरों की पीड़ा को समझता हो।) ‘पर दु:खे उपकार करे तोये, मन अभिमान ना आणे रे1॥’ (दूसरे के दु:ख पर जब वह उपकार करे, तो अपने मन में कोई अभिमान ना आने दे।) ‘सकल लोक मां सहुने वन्दे, निंदा न करे केनी रे।’(जो सभी का सम्मान करे और किसी की निंदा न करे।) ‘वाच काछ मन निश्छल राखे, धन धन जननी तेनी रे॥2॥’ (जो अपनी वाणी, कर्म और मन को निश्छल रखे, उसकी मां (धरती मां) धन्य-धन्य है।)

‘समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी परस्त्री जेने मात रे।’ (जो सबको समान दृष्टि से देखे, सांसारिक तृष्णा से मुक्त हो, पराई स्त्री को अपनी मां की तरह समझे।) ‘जिह्वा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाले हाथ रे॥3॥’ (जिसकी जिह्वा असत्य बोलने पर रूक जाए, जो दूसरों के धन को पाने की इच्छा न करे।)

‘मोह माया व्यापे नहिं जेने दृढ़ वैराग्य जेना मन मां रे।’ (जो मोह माया में व्याप्त न हो, जिसके मन में दृढ़ वैराग्य हो।)’ राम नाम शु ताली रे लागी, सकल तीरथ तेना तनमां रे॥4॥’ (जो हर क्षण मन में राम नाम का जाप करे, उसके शरीर में सारे तीर्थ विद्यमान हैं।)

‘वणलोभी ने कपट रहित छे, काम क्रोध निवार्या रे।’ (जिसने लोभ, कपट, काम और क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली हो।) ‘भणे नरसैयो तेनु दर्शन करतां, कुल एकोतेर तार्या रे॥5॥’ (ऐसे वैष्णव के दर्शन मात्र से ही, परिवार की इकहत्तर पीढ़ियां तर जाती हैं, उनकी रक्षा होती है।)

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आशा है कि यह आपकी मदद करता है

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