'विष से अमृत करे' का क्या अर्थ है?
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इसका मतलब है की बुरे से अछा करना ये इसका मतलब है
विष से अमृत करे' का क्या अर्थ
विष से अमृत करे मतलब...ये शरीर विष के समान है, इसमें दुर्गुण ही दुर्गुण भरे हुए हैं, इन दुर्गुणों को अमृतरूपी सद्गुणों में केवल गुरु ही बदल सकता है। इसलिये गुरु ही है जो विष रूपी दुर्गुण युक्त शरीर को अमृत रूपी सद्गुणयुक्त शरीर में बदलता है, अर्थात गुरु ही विष को अमृत करता है।
गुरु के बताए हुए रास्तों में चल कर हम विष को निकाल कर अमृत बन सकते है| हम अपनी अंदर की बुराइयों को खत्म कर सकते है| हमें अपने जीवन में हमेशा अच्छे काम करने चाहिए और बुरे कामों से दूर रहना चाहिए| जीवन में सब के साथ प्रेम से रहे और अच्छे वाणी का प्रयोग करे|
कबीर जी के द्वारा लिखा गया दोहा हमें यह सिख देता है:
यह तन विष की बेल री, गुरु अमृत की खान
शीश दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान।
यह शारीर एक विष से व्याप्त पौधे के सामान है जिसे एक गुरु रूपी अमृत ही स्वच्छ कर सकता है, गुरु रूपी अमृत प्राप्त करने के लिए यदि अपने जीवन को भी त्यागना पड़े तो भी यह सौदा सस्ता ही है|