Hindi, asked by Vedantpadile, 6 months ago

विष्वशांती समय की आवश्यकता पर essay​

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Answered by anshvanshtyagi4
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Answer:

किसी कवि ने आज विश्व की गम्भीर और अशान्त स्थिति पर विचार करते हुए लिखा है-

जान पड़ता है सब संकट विसार कर,

मानव है नाश के कगार पर,

जागी है, उसमें पाश्विकता, बधिकता,

देखता नहीं है, कुछ वृद्ध बाल,

सबके लिए है काल,

दस्यु सम घात में है खड़ा,

लज्जा नहीं आती है, आत्मा के हनन की।

सचमुच में आज मनुष्य विनाश के कगार पर खड़ा मृत्यु की गोद में धड़ाधड़ चला जा रहा है। मनुष्य ने मनुष्य को अपने स्वार्थों से जकड़ लिया है। उसे आज कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। उसे केवल स्वार्थ दिखाई दे रहा है। वह इस स्वार्थ की पूर्ति के लिए आज भयानक और कठिन से कठिन अस्त्र-शस्त्रों को होड़ लगाए जा रहा है। आज इसीलिए मनुष्य सर्वविनाश के लिए अणुबम, परमाणु बम आदि बना बनाकर के अपनी अपार शक्ति का परिचय दे रहा है। यह अशान्तमय और भयानक वातावरण का निर्माण करने में लगा हुआ सब कुछ भूल चुका है कि क्या उचित है और क्या अनुचित है। इस प्रकार सम्पूर्ण विश्व एक बहुत बड़ी अशान्ति के दौर में पहुंच चुका है।

आज विश्व शन्ति की आश्वयकता बहुत अधिक और तेज हो गई है। इस अशान्ति के कारण कई हैं। इनमें से मुख्य कारण यह भी है कि आज विश्व के अनेक सबल राष्ट्र एक दूसरे निर्बल और शक्तिहीन राष्ट्र को अपने चंगुल में फंसाए रखने के लिए भारी उद्योग किया करते हैं। इसके लिए वे अपनी निजी शक्ति और आश्वयकताओं को बढ़ाते ही जा रहे हैं। इसके साथ ही अपने सम्पर्कों अन्य शक्तिहीन और छोटे राष्ट्रों के प्रति उकसाने या उभाड़ने की कोशिश में बराबर लगे रहते हैं। इस प्रकार से आज पूरा विश्व कई भागों में बँटा हुआ परस्पर विनाश के गर्त में पहुँचने के लिए नित्य उद्योग करते हुए दिखाई देता है। इसलिए आज विश्व की शान्ति की आश्वयकता बढ़ती जा

 

विश्व शान्ति कैसे और किस प्रकार से हो सकती है। यह एक विचारणीय प्रश्न है। इस विषय के लिए हम यह कह सकते हैं कि विश्व शान्ति के लिए भाईचारे की भावना सबसे पहले जरूरी है। भाईचारे, मेल-मिलाप की भावना और परस्पर हित-चिन्तन की भावना विश्व शान्ति की दिशा में महान कदम और सार्थक कार्य होगा। परस्पर दुख सुख की भावना और कल्याण स्थापना की भावना विश्व शान्ति के लिए ठोस कदम होगा। विश्व शान्ति के लिए अपने ही समान समझना और अपने ही समान आचरण करना, एक ठोस और प्रभावशाली विचार होगा। अगर इस तरह की सद्भावना और श्रेष्ठ विचार प्राणी प्राणी के मन में उत्पन्न हो जाएगा तो किसी प्रकार से विश्व में अशान्ति और अव्यवस्था की भावना नहीं हो सकती है। बढ़ी हुई दुर्भावनाएँ समाप्त हो सकती हैं।

विश्व शान्ति और विश्व को समान दशा में लाने के लिए हमें मानव कल्याण समारोह का आयोजन करना चाहिए। इसके द्वारा जन जन में यह प्ररेणा जगानी चाहिए कि हमें किस प्रकार से अमानवीय और पाश्विक दुर्भावनाओं से बचना चाहिए। हमारे अन्दर जो शठता, दुर्जनता और दानवता का प्रवेश हो चुका है। वह किस प्रकार से समाप्त हो सकता है। इसके अन्दर किस प्रकार सज्जनता और मानवता उत्पन्न हो सकती है। इस प्रकार के विचार हमें विभिन्न प्रकार की योजनाओें और कार्यक्रमों के द्वारा अपनाने की प्रेरणा देनी चाहिए। यह तभी संभव है। जब हम भौतिकवादी दृष्टिकोण का परित्याग कर सकेंगे। इसके स्थान पर हमें प्रकृतिगामी और प्रकृतिवादी दृष्टिकोणों को अपनाना चाहिए।

विश्व शान्ति के लिए हमें प्रयास करना चाहिए कि हम भौतिकता के बने जंगल से आध्यात्मिकता के सपाट मैदान की ओर लौट आएँ। इस अर्थ में हमें अपने पुरातन काल के ऋषियों और मुनियों के अलौकिक और दिव्य जीवन संदेश को समझना होगा। उनका हमें अनुसरण करना होगा। विश्व शान्ति के प्रयास में हमें महान दार्शनिकों और महात्माओं के जीवन सिद्धान्तों और आचरणों को अपनाना होगा। उनके अनुसार चलना होगा। इसके परिणामों को हमें समझ करके दूसरे को इससे प्रभावित करना होगा, तभी विश्वशान्ति का सार्थक और ठोस प्रयास होगा।

आज यह सौभाग्य का विषय है कि विश्व के कई बड़े राष्ट्र विश्व शान्ति के प्रयास की दिशा में प्रयत्नशील दिखाई दे रहे हैं। प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध के भयंकर परिणामों और इससे प्रभावित आज के जीवन स्वरूपों पर भी विचार किए जा रहे हैं। इसके लिए कई ठोस और प्रभावशाली कदम उठाए गए हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना इसी दृष्टिकोण का परिणाम है। इससे पारस्परिक झगड़े और संघर्षों को हल किया जाता है। इसी तरह का कुछ और उद्योग और प्रयास विश्व स्तर पर होना चाहिए। विश्व के जो पिछड़े और दुखी राष्ट्र हैं, उनको हर प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करने के लिए हमें विश्व स्तर पर कोई संयुक्त संस्था की स्थापना अवश्य करनी चाहिए। गुट निरपेक्ष संस्थान इस दिशा में काफी सफल और उचित प्रयास है। इस तरह अवश्य कोई प्रयास होना चाहिए। इस प्रकार से हमें कोई न कोई विचार और दृष्टिकोण अवश्य अपनाना चाहिए। इससे विश्व शान्ति यथाशीघ्र स्थापित होकर मानवता का गला घोंट करती हुई पाश्विकता का दम तोड़ देगी।

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anshvanshtyagi4

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