विषकन्या एकाकी का मूल संदेश
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i) "विषकन्या" श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा रचित बहुत ही शानदार उपन्यास है।
ii) कहानी में रहस्यमयी गुत्थियों को एक के बाद एक जोड़ा गया है। जिससे कहानी में चार चाँद लग जाता है और सस्पेंस बढ़ता जाता है।
iii) पाठक साहब ने अपने कई उपन्यासों में समाज के इन विचारों पर निशाना साधा है। कभी कभी ये दकियानूसी और अन्धविश्वाशी विचार अपराध को जन्म देते हैं।
iv) आज भी हमारे समाज में इन विचारों के अंधड़ में कई अपराध घटित होते हैं। देवबाला का किरदार परत दर परत संदेहास्पद और रहस्यमयी होता जाता है।
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