विषय-हिंदी
निबंध लेखन:-
१) त्योहारों का महत्त्व
Answers
Answer:
त्यौहरो का महत्तव:- हमारे देश मे त्योहार का महत्व नःसंदेह है। इन त्योहार का महत्व समाज और राष्ट्र की एकता-समृधि, प्रेम-एकता, मेल-मिलाप के दृष्टि से है। साम्प्रदायिक -एकता, धार्मिक -समन्वय, सामाजिक-समानता को हमारे भारतीय त्योहार समय-समय पर घटित होकर हमारे अंदर उतपन्न करते चलते है। जातीय भेद-भावना और संकीर्णता के धुंध को ये त्योहार अपने अपार उल्लास और आनन्द के द्वारा छिन्न-भिन्न कर देते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्योहार अपने जन्म-काल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए हैं। युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप ईन त्योहार के लिए कोई प्रभाव नहीं डाल सका। इन त्योहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, अवश्यमेव श्रद्धा और विशवास; नेतिकता ओर विशुद्धता का परिचायक है। इससे कलुषता और हीनता की भावना समाप्त होती है और सच्चाई, निष्कपटता तथा आत्मविश्वास की उच्च ओर श्रेष्ट भावना का जन्म होता है।
हमारे देश के प्रमुख त्योहार:- मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शो को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्योहार तो श्रंखलाबद्ध है। एक त्योहार समाप्त हो रहा हो अथवा जैसे ही समाप्त हो गया, वैसे दूसरा त्योहार आ धमकता है। तातपर्य यह है कि पूरे वर्ष हम त्योहारो के मधुर मिलन से जुड़े रहते है। हमे कभी भी फुरसत नही मिलती है हमारे देश के प्रमुख त्योहार में नागपंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, दीपावली, होली, ईद मुहर्रम, बकरीद, क्रिसमस, ओणम, बैसाखी, रथयात्रा , 15 अगस्त, 2 अक्टूबर, 26 जनवरी, गुरुनानक जयंती, रविदास जयंती, 14 नवम्बर, महावीर जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, राम नवमी आदि है।
नाग-पंचमी का त्यहार सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजोत्सव के रूप में पूरे देश मे धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इससे हमारे मन मे नाग देवता (शेष नाग) के प्रति श्रद्धा-भावना व्यक्त होती है। लोगो का विशवास है कि इस दिन नाग देवता प्रसन्न होते है। इससे हमारे धार्मिम संस्कार जगते है। रक्षा-बंधन के त्योहार का महत्व प्राचीन पम्परा के अनुसार गुरु -महत्व को प्रतिपादित करने से है। लोंगो को यह मान्यता है कि इस दिन गुरु अपने शिष्य के हाथ मे रक्षा-सूत्र बांध करके उसे अभय रहने का वरदान देता है। गुरु को शिष्य यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर अपनी श्रद्धा -निष्ठा को प्रकट करता है। आज की परंपरा के अनुसार बहिने अपने भाइयों के हाथ मे राखी का बंधन बांधकर उससे परस्पर प्रेम के निर्वाह का वचन दान लेती है। भाद्र मास जन्माष्टमी का त्योहार श्रीकृष्ण के जन्मदिन की उपलक्ष में मनाया जाता है। दशहरा का त्योहार पूरे देश मे आशिवन मास में मनाया जाता है। यधपि इसके मनाने के विभिन्न तौर-तरीके है, जिनसे हमारी धार्मिक भावनाएं जुडी हुई है। यह त्योहार लगातार आशिवन मास के पूरे शुक्ल पक्ष तक परम् हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। देवो पर देत्वो से आये हुए संकट के निवारण परम् शक्ति दुर्गा का नवरात्रि-पूजन समारोह से जहाँ इस त्योहार का समापन करके हम सात्विक ओर आत्मिक शक्ति के महत्व को जुटाते है, वही दूसरी ओर धर्मसंथापक ओर मानवीय मूल्यों के रक्षक तथा इसके विरोधी तत्वों रावण, बाली आदि के विनाशकर्ता श्रीराम की रामलीला का चित्रांकन और छायांकन करके हम मानवता के पथ का निर्देश करते है। यधपि दक्षिण भारतीयों के लिए यह उत्सव हमारे उत्तर भारतीय की विचारधारा के ठीक विपरीत रूप में होता है। क्योंकि, वे राम के नही; अपितु रावण की बुद्धि के परिचायक और दमर्थक होते है। दिवली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस के अंधकार को पराजित करने के लिए प्रकाश का आयोजन करके सम्पन्न किया जाता है। यह अज्ञान को छिन्न-भिन्न करके ज्ञान की स्थापना के अर्थ में होता है।
लोगो की धारणा है कि इस दिन ही राम रावण कों पराजित करके अपनी राजधानी अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में अगणित दीपमालाओं को पूरे धूम-धाम से सजाकर अयोध्यावासियों ने अपना अपार उत्साह प्रदशित किया था। होली के त्योहार का महत्व स्वतः प्रकट है। इस आनन्द और उमंग से हम अपनी कटुता और दुर्भावना को भूलकर एक हो जाते है। इसी तरह ईद, बकरीद, क्रिसमस आदि त्योहार का भी महत्व है।
त्यौहरो का महत्तव
हमारे देश मे त्योहार का महत्व नःसंदेह है। इन त्योहार का महत्व समाज और राष्ट्र की एकता-समृधि, प्रेम-एकता, मेल-मिलाप के दृष्टि से है। साम्प्रदायिक -एकता, धार्मिक -समन्वय, सामाजिक-समानता को हमारे भारतीय त्योहार समय-समय पर घटित होकर हमारे अंदर उतपन्न करते चलते है। जातीय भेद-भावना और संकीर्णता के धुंध को ये त्योहार अपने अपार उल्लास और आनन्द के द्वारा छिन्न-भिन्न कर देते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्योहार अपने जन्म-काल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए हैं। युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप ईन त्योहार के लिए कोई प्रभाव नहीं डाल सका। इन त्योहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, अवश्यमेव श्रद्धा और विशवास; नेतिकता ओर विशुद्धता का परिचायक है। इससे कलुषता और हीनता की भावना समाप्त होती है और सच्चाई, निष्कपटता तथा आत्मविश्वास की उच्च ओर श्रेष्ट भावना का जन्म होता है।
हमारे देश के प्रमुख त्योहार:- मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शो को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्योहार तो श्रंखलाबद्ध है। एक त्योहार समाप्त हो रहा हो अथवा जैसे ही समाप्त हो गया, वैसे दूसरा त्योहार आ धमकता है। तातपर्य यह है कि पूरे वर्ष हम त्योहारो के मधुर मिलन से जुड़े रहते है। हमे कभी भी फुरसत नही मिलती है हमारे देश के प्रमुख त्योहार में नागपंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, दीपावली, होली, ईद मुहर्रम, बकरीद, क्रिसमस, ओणम, बैसाखी, रथयात्रा , 15 अगस्त, 2 अक्टूबर, 26 जनवरी, गुरुनानक जयंती, रविदास जयंती, 14 नवम्बर, महावीर जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, राम नवमी आदि है।
नाग-पंचमी का त्यहार सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजोत्सव के रूप में पूरे देश मे धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इससे हमारे मन मे नाग देवता (शेष नाग) के प्रति श्रद्धा-भावना व्यक्त होती है। लोगो का विशवास है कि इस दिन नाग देवता प्रसन्न होते है। इससे हमारे धार्मिम संस्कार जगते है। रक्षा-बंधन के त्योहार का महत्व प्राचीन पम्परा के अनुसार गुरु -महत्व को प्रतिपादित करने से है। लोंगो को यह मान्यता है कि इस दिन गुरु अपने शिष्य के हाथ मे रक्षा-सूत्र बांध करके उसे अभय रहने का वरदान देता है। गुरु को शिष्य यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर अपनी श्रद्धा -निष्ठा को प्रकट करता है। आज की परंपरा के अनुसार बहिने अपने भाइयों के हाथ मे राखी का बंधन बांधकर उससे परस्पर प्रेम के निर्वाह का वचन दान लेती है। भाद्र मास जन्माष्टमी का त्योहार श्रीकृष्ण के जन्मदिन की उपलक्ष में मनाया जाता है। दशहरा का त्योहार पूरे देश मे आशिवन मास में मनाया जाता है। यधपि इसके मनाने के विभिन्न तौर-तरीके है, जिनसे हमारी धार्मिक भावनाएं जुडी हुई है। यह त्योहार लगातार आशिवन मास के पूरे शुक्ल पक्ष तक परम् हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। देवो पर देत्वो से आये हुए संकट के निवारण परम् शक्ति दुर्गा का नवरात्रि-पूजन समारोह से जहाँ इस त्योहार का समापन करके हम सात्विक ओर आत्मिक शक्ति के महत्व को जुटाते है, वही दूसरी ओर धर्मसंथापक ओर मानवीय मूल्यों के रक्षक तथा इसके विरोधी तत्वों रावण, बाली आदि के विनाशकर्ता श्रीराम की रामलीला का चित्रांकन और छायांकन करके हम मानवता के पथ का निर्देश करते है। यधपि दक्षिण भारतीयों के लिए यह उत्सव हमारे उत्तर भारतीय की विचारधारा के ठीक विपरीत रूप में होता है। क्योंकि, वे राम के नही; अपितु रावण की बुद्धि के परिचायक और दमर्थक होते है। दिवली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस के अंधकार को पराजित करने के लिए प्रकाश का आयोजन करके सम्पन्न किया जाता है। यह अज्ञान को छिन्न-भिन्न करके ज्ञान की स्थापना के अर्थ में होता है।
लोगो की धारणा है कि इस दिन ही राम रावण कों पराजित करके अपनी राजधानी अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में अगणित दीपमालाओं को पूरे धूम-धाम से सजाकर अयोध्यावासियों ने अपना अपार उत्साह प्रदशित किया था। होली के त्योहार का महत्व स्वतः प्रकट है। इस आनन्द और उमंग से हम अपनी कटुता और दुर्भावना को भूलकर एक हो जाते है। इसी तरह ईद, बकरीद, क्रिसमस आदि त्योहार का भी महत्व है।
hlw ji
kya hall he sohniyon