Hindi, asked by sadhana123454444, 4 months ago

विषय पर निबंध लिखिए।
हमारी मातृभूमि : भारतवर्ष in hindi​

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Answered by gangurdesnehal96
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Answer:

मातृभूमि वह भूमि है जहाँ मनुष्य जन्म लेता है। उसकी मिटटी में खेलकर बड़ा होता है। उस मिट्टी से अपनी जान से भी ज़्यादा प्रेम करता है और उसे माँ का दर्ज़ा देता है। उसे मातृभूमि कहते है। कहते है की ‘जननी जन्मभूमिश्चा स्वर्गादपि गरीयसी ‘ | इसका तात्पर्य है माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से कई ज़्यादा माईने रखती है। एक सच्चा देशभक्त अपनी मिटटी से इतना प्रेम करता है की वह अपने प्राणो की बलि देने में हिचकिचाता नहीं है। हर एक इंसान के लिए उनकी मातृभूमि की एहमियत होती है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।

भारत अपनी विविधताओं के लिए विश्व भर में मशहूर है। भारत की सिंधु सभ्यता और हरप्पा -मोहनजोदड़ो की संस्कृति बहुत ही रहश्यमयी है और उतनी ही रोचक है। भारत में हर धर्म, जाति और प्रजाति के लोग निवास करता है। भारत में 29 राज्य है कहीं बांग्ला बोला जाता है कहीं भोजपुरी, पंजाबी, उर्दू, तमिल, तेलगु इत्यादि। लेकिन हर भारतीय एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है और मिल-जुलकर हम एक ही देश में रहते है। इसे हम राष्ट्रीय भावना कहते है। “अनेकता में ही एकता ” हमारा नारा है। लेकिन आजकल क्षेत्रीय भावना राष्ट्रिय भावनाओं पर हावी हो रही है।

कुछ लोग क्षेत्रीय भावनाओं को ज़्यादा महत्व देते है जो की उचित नहीं हमे एक राष्ट्र की तरह एक- दूसरे से मिलकर और एक दूसरे के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। भारत में अंग्रेज़ो ने 200 वर्षों तक राज किया। अंग्रेज़ो के ज़ुल्मों ने देशवाशियों को काले अन्धकार की ओर धकेल दिया। कालापानी जो अंडमान में स्थित है इसका एक जीता -जागता उदाहरण है। वहां देशभक्तों से जानवरों की तरह काम करवाते थे और उन्हें भूखा रखते थे और कौडे मारते थे। लेकिन वह कभी रुके नहीं और अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी। हम सलाम करते है उन वीरो और जवानो को

कुछ लोग क्षेत्रीय भावनाओं को ज़्यादा महत्व देते है जो की उचित नहीं हमे एक राष्ट्र की तरह एक- दूसरे से मिलकर और एक दूसरे के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। भारत में अंग्रेज़ो ने 200 वर्षों तक राज किया। अंग्रेज़ो के ज़ुल्मों ने देशवाशियों को काले अन्धकार की ओर धकेल दिया। कालापानी जो अंडमान में स्थित है इसका एक जीता -जागता उदाहरण है। वहां देशभक्तों से जानवरों की तरह काम करवाते थे और उन्हें भूखा रखते थे और कौडे मारते थे। लेकिन वह कभी रुके नहीं और अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी। हम सलाम करते है उन वीरो और जवानो को जिन्होंने कभी अपने परिवार और खुद को प्राथमिकता न देकर देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। नमन है उन वीरों को जिन्होंने हँसते -हँसते अपने प्राणो की बलि दे दी और यह भी न सोचा की उनके परिवारों का क्या होगा। चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे वीरों ने खुलकर आज़ादी के गीत गाये और मातृभूमि के लिए अपने प्राणो का समर्पण किया ताकि हम खुश रहें आज़ाद रहे|

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