विषय सूची
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1. याचना
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नहीं चाह है धन की मुझको,
दीन दुखी को अपनाऊँ।
ईश! सुमति दो, विद्या धन दो,
जनसेवा में लग जाऊँ।
खाना-पीना, मौज उड़ाना,
ऐसी मेरी चाह नहीं।
पर उपकार सदैव करूँ पर,
अपनी कुछ परवाह नहीं।
छोड़ पराए रहन-सहन को,
निजी वस्तु को अपनाऊँ।
वीर जवाहर, सुभाष बाबू,
गांधी जी-सा बन जाऊँ।
छुआछूत का भाव मिटाकर,
सबको गले लगाऊँ मैं।
ऊँच-नीच का भेद भुलाकर,
समता को अपनाऊँ मैं।
नहीं चाहता जग वैभव मैं
या धन-दौलत को पाना।
किंतु चाहता मेरे ईश्वर,
मातृभूमि पर बलि ही जाना
summary of the poem
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iska answer hea ki sabko ek jesa mano. bhed wao na karo
Explanation:
yeah bharat hea yaha sab ek hea
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