विषय - संस्कृत
पाठः - सुभाषितानि
प्रश्न 1. यथेच्छं केषाञ्चन पञ्चश्लोकानां हिन्द्याम् अर्थं लिखत ।
प्रश्न 2. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरूत-
(क) गुणाः गुणज्ञेषु गुणाः भवन्ति ।
(ख) पिशुनस्य मैत्री यशः नाशयति ।
(ग) मधुमक्षिका माधुर्यं जनयेत्।
(घ) सन्तः मधुरसूक्तरसं सृजन्ति ।
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निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः । इसका भावार्थ है कि हमारे अच्छे गुण तब तक अच्छे रहते हैं, जब तक हम अच्छे लोगों की संगति में रहते हैं। ... जैसे ही हम बुरे लोगों की संगति में चले जाते हैं, वैसे ही हमारे सद्गुण भी दुर्गुण में बदल जाते हैं।
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