वात्सल्य रस के भेद और उप भेद बताइए
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इसके दो अंग हैं- संयोग वात्सल्य और वियोग वात्सल्य। वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्य है। पुत्र, शिशु, शिष्य आदि इसके आलंबन विभाव तथा उनकी चेष्टाएँ उद्दीपन विभाव होती हैं। शिशु को गोंद में लेना, दुलारना आदि अनुभाव और हर्ष, शंका, स्मृति, आवेग आदि संचारी भाव होते हैं।
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