वृत्तांत लेखन हिंदी आपके पाठशाला में मनाया हिंदी दिन
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हिन्दी किसी संप्रदाय विशेष की भाषा नहीं, यह जन-जन की भाषा है।
हिन्दी हमारे ह्रदय की भाषा है।
लोगों को आकर्षित करती है हिन्दी की मधुरता।
विश्व की सबसे बड़ी भाषा है हिंदी।
नालंदा जिला मुख्यालय के मध्य विद्यालय ककड़िया में विद्यालय के चेतना सत्र में हिंदी दिवस बड़े उत्साह से प्रधानाध्यापक शिवेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में मनाया गया।जबकि कार्यक्रम का संचालन सहायक शिक्षक सच्चिदानंद प्रसाद ने किया। विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में "देश में हिंदी भाषा का महत्व व संस्कृति में योगदान" विषय पर शिक्षकों तथा छात्रों ने अपने विचार प्रकट किए।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रधानाध्यापक ने कहा कि हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है।
मौके पर शिक्षक संघ के नेता साहित्यानुरागी राकेश बिहारी शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि 14 सितंबर को देश भर में हिंदी दिवस मनाया जाता है। आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था और इसके बाद से हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। देश की स्वतंत्रता और विकास में हिंदी भाषा का अहम योगदान है। हिंदी से ही हिंद है। विश्व की सबसे बड़ी भाषा हिंदी है। उन्होंने कहा कि अब हिंदी राष्ट्र भाषा की गंगा से विश्व भाषा का महासागर बन रही है। विद्यार्थियों को आधुनिकता एवं अंग्रेजीयत से अलग होकर हिन्दी की रोचकता और महत्ता को जानने पहचानने की जरूरत है। आज हिंदी भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में बोली समझी जाने वाली विश्व भाषाओं में अपनी पहचान स्थापित कर चुकी है और शब्दों की संख्या के आधार पर भी विश्व की सबसे बड़ी भाषा हिंदी बन गई है।आज विद्यार्थियों के बीच अंग्रेजी भाषा के प्रति बढ़ते लगाव और हिंदी भाषा की अनदेखी करने की वजह से हिंदी प्रेमी बेहद निराश हैं। यही वजह है कि हर साल देशभर के लोगों को अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति जागरूक करने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है।
भारत में भले ही अंग्रेज़ी बोलना सम्मान की बात मानी जाती हो, पर विश्व के बहुसंख्यक देशों में अंग्रेज़ी का इतना महत्त्व नहीं है। हिंदी बोलने में हिचक का एकमात्र कारण पूर्व प्राथमिक शिक्षा के समय अंग्रेज़ी माध्यम का चयन किया जाना है। आज भी भारत में अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों का दाख़िला ऐसे स्कूलों में करवाना चाहते हैं, जो अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा प्रदान करते हैं। जबकि मनोवैज्ञानिकों के अनुसार शिशु सर्वाधिक आसानी से अपनी मातृभाषा को ही ग्रहण कर पाता है और मातृभाषा में किसी भी बात को भली-भांति समझ सकता है। अंग्रेज़ी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है। अत: भारत में बच्चों की शिक्षा का सर्वाधिक उपयुक्त माध्यम हिंदी ही है। सबसे बड़ी बात हिंदी भाषा जैसे लिखी जाती है, वैसे बोली भी जाती है। दूसरी भाषाओं में कई अक्षर साइलेंट होते हैं और उनके उच्चारण भी लोग अलग-अलग करते हैं, लेकिन हिंदी के साथ ऐसा नहीं होता, इसीलिए हिंदी को बहुत सरल भाषा कहा जाता है। हिंदी कोई भी बहुत आसानी से सीख सकता है। हिंदी अति उदार, समझ में आने वाली सहिष्णु भाषा होने के साथ भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका भी है। भारत की मौजूदा शिक्षा पद्धति में बालकों को पूर्व प्राथमिक स्कू्ल ही अंग्रेज़ी के गीत रटाये जाते हैं। यदि घर में बालक बिना अर्थ जाने ही आने वाले अतिथियों को अंग्रेज़ी में कविता सुना दे तो माता-पिता का मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है।इस मौके पर बालसंसद के प्रधानमंत्री शुभम प्रकाश शर्मा, बालसंसद के शिक्षा मंत्री गुडिया कुमारी, शिक्षक सुरेश प्रसाद रजक, शिक्षक अनुज कुमार शिक्षक अरविन्द कुमार, सुरेश कुमार छात्र-छात्रा सुरभी कुमारी, मेनका कुमारी कुमारी, रिंकी कुमारी, मोनी कुमारी, आरती कुमारी, पूजा कुमारी, निशा कुमारी, गोलू कुमार, लक्ष्मण कुमार, शौरभ कुमार, मुकेश कुमार सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं चेतना सत्र में शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाया।
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