CBSE BOARD X, asked by harshitjaswal007, 5 months ago

वृत्तं यत्नेन संरक्षेद् वित्तमेति च याति च।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः।।
- मनुस्मृ please translate this in hindi​

Answers

Answered by harshitgupta9716
3

Answer:

वृत्तं यत्नेन संरक्षेत्, वित्तमायाति याति च।

अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतो हतः ॥

हिंदी भावार्थ —

व्यक्ति को सदैव अपने चरित्र की रक्षा करना चाहिये। धन तो आने-जाने वाली वस्तु है। यदि धन नष्ट हो गया है तो परिश्रम करने पर पुनः प्राप्त किया जा सकता है। परन्तु यदि चरित्र नष्ट हो गया तो उसे लाख यत्न करने पर पुनः प्राप्त नही किया जा सकता। धन नष्ट हो गया तो भी यदि चरित्र सुरक्षित है तो सब कुछ है, परन्तु यदि चरित्र नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।

Explanation:

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