वातावरण का प्रयोग लिखीए
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मुझे यहां का वातावरण बहुत अच्छा लगता हैं।*
Explanation:
Hope it's help you।।।
सामाजिक वातावरण एवं उसका (Social Environment and Its Effect) बालक को प्रभावित करने में परिवार का वातावरण अपनी भूमिका का निर्वहन करता है। समाज द्वारा बालकों पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। विद्यालय में अनेक परिवारों से आये बालक अपने साथ अलग-अलग वातावरणीय सोच लेकर आते हैं। परन्तु विद्यालय का वातावरण एक सुनिश्चित, अनुशासित एवं शिक्षा हेतु संगठित वातावरण होता है। कहीं-कहीं तो बाहर का वातावरण विद्यालय के वातावरण से पूर्णतः विरोधी होता है। हमारा देश विविधताओं का देश है। जैसे- भाषा की विविधता, सम्प्रदाय तथा जाति की विविधता, साधनहीन तथा सम्पन्नता की विविधता हमारे बाहरी
वातावरण की मुख्य समस्याएँ है। इन सभी वातावरणीय समस्याओं से निकलकर जब बालक विद्यालय में अध्ययन करने आता है तब समस्त कठिनाइयाँ विद्यालय को झेलनी पड़ती हैं तथा उनका समाधान खोजना पड़ता है। वैसे वातावरण का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। वातावरण को हम दो भागों में बाॅट सकते हैं-
(1) आन्तरिक वातावरण -आन्तरिक वातावरण जन्म से पूर्व ही अपना प्रभाव डालना प्रारम्भ कर देता है। गर्भावस्था बालक के विकास की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण समय है।
(2) वाह्य वातावरण -बालक के वाह्य वातावरण के अन्तर्गत जाति, समाज, राष्ट्र तथा उसकी संस्कृति को लिया जा सकता है। इस प्रकार के वातावरण की परिस्थितियाँ प्रत्येक देश में प्रत्येक काल में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होती रहती है। परिवार में यह कार्य माता-पिता अपने बालकों को पूर्ववत् चले आये रीति-रिवाज, भाषा, संस्कृति, साहित्य, जातीय जीवन दर्शन आदि का पाठ व्यवहार द्वारा सिखाते हैं, जबकि विद्यालय बालकों में राष्ट्रीयता एवं मूल्यों का विकास आदि के भाव विकसित करती है।
अतः स्पष्ट है कि बालक का स्वभाव, व्यवहार, अभिव्यक्ति, विकास तथा प्रौढ़ता सभी कुछ वाह्य वातावरण से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते है।