वेतनाम के जनता के सबसे महान नेता कौन थे
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एशिया का एक छोटा सा देश वियतनाम. इसकी स्थापना हो ची मिन्ह ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1945 में की थी. 19 मई 1890 को हो ची मिन्ह का जन्म हुआ था.
उस समय फ्रांस का कब्ज़ा था वियतनाम पर. हो के पिता फ्रांस सरकार में स्कूल टीचर थे. उन पर आरोप लगा कि सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं. 9 साल की उम्र में हो पर आरोप लगा कि उन्होंने अपनी मां के साथ मिलकर फ्रांस सरकार के अस्त्रों को चुराया है और सरकार के खिलाफ लड़ने वालों की सहायता की है. इसके बाद हो रातोंरात अपनी मां के साथ भागकर ह्यू शहर चले गए. इधर उनके पिता को फ्रांस की पुलिस लगातार परेशान करने लगी तो वो भी सैगांव शहर भाग गए. एक साल बीत चुका था. हो की मां की मौत हो चुकी थी. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. फिर उन्होंने वापस अपने गांव लौटने का निर्णय लिया जिससे वो अपनी स्कूलिंग पूरी कर सकें. हो की डिग्री पूरी हुई और वो एक प्राथमिक स्कूल में टीचर बन गए.
अक्टूबर 1911 में हो 21 साल के हो चुके थे. दक्षिणी चीन के वुचैंग में वहां की किंग डायनेस्टी के खिलाफ चीन में विरोध शुरू हो गया था. जनता की मांग थी कि साम्राज्यवाद को खत्म करके रिपब्लिक ऑफ चायना की स्थापना की जाए. हो ची मिन्ह को इससे प्रेरणा मिली. उनके अंदर पहले से फ्रांस की सरकार के खिलाफ एक गुस्सा भरा हुआ था.
इस परिस्थिति पर चर्चा करने के लिए हो ने पिता की ओर सैगांव का रुख किया. पिता ने सलाह दी कि सरकार के खिलाफ क्रांति करने से पहले उन्हें यूरोप जाकर फ्रांस की वास्तविक स्थिति समझनी चाहिए और वेस्टर्न साइंस की भी स्टडी करनी चाहिए. लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि पैसे कहां से आएंगे. लेकिन ये समस्या भी खत्म हो गई क्योंकि एक फ्रेंच लाइनर पर उन्हें मेस बॉय की नौकरी मिल गई थी.
यूरोप में पहुंचकर की कुक की नौकरी
हो ची मिन्ह यूरोप पहुंचे और नौकरी शुरू कर दी. इस दौरान उन्होंने अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका के कई पोर्ट्स की यात्रा की. 28 जुलाई 1914 का दिन. प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो चुका था. हो ची मिन्ह ने नौकरी छोड़ दी और लंदन में जाकर रहने लगे. 1917 तक वो यहीं रहे. इस बीच अपनी माली ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कुछ-कुछ करते रहे. इसी बीच ”हो” ने ओवरसीज़ वर्कर्स एसोसिएशन से संपर्क किया. ओवरसीज़ वर्कर्स एसोसिएशन साम्राज्यवाद विरोधी और इंपीरियल शासन विरोधी एक चायनीज़ संगठन था.
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