वाटर पोलूशन 400 wards english grammar +1 class
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Water is an essential natural element that helps humans to survive on Earth. Our body constitutes 60 percent of water.
Water pollution is linked to the word contamination. It refers to the presence of impurities and harmful elements in the water. The polluted water is not fit for drinking and is harmful to living beings such as animals, birds, and human beings. Water pollution is a source of many deadly diseases that cause harm, diseases, and even kill human civilization.
Water pollution leads to the destruction of the environment and all of its components. We need clean water for our survival, and it is our responsibility to conserve it.
Water pollution occurs when contaminants like agricultural and toxic industrial wastes or other residues, mix in water bodies like lakes, rivers, underground water, and oceans. The contaminants dissolved in water becomes unfit for consumption. The toxic components emitted from factories make the surrounding water warm, and the atmosphere hotter as well.Polluted water bodies, whether clean or dirty, contain chemicals, toxic substances, and germs that cause illness, such as cholera, dysentery, Tuberculosis, and other abdominal diseases in humans. Contaminated water also carries worms such as roundworms and tapeworms that causes various diseases inside the human body.
Many countries are now facing crises due to water pollution, and portable water is now a long run commodity. Many multinational companies are taking the appropriate measures for marketing potable mineral water in tropical countries.
जल प्रदूषण पर निबंध-Essay On Water Pollution In Hindi :
भूमिका : जल पर्यावरण का एक अभिन्न अंग होता है। पानी हमारे जीवन का एक बहुत ही जरूरी श्रोत होता है इसी वजह से कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल मनुष्य की मुलभुत आवश्यकताओं में से ही एक होता है।
पिछले दो सौ सालों की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति ने मनुष्य का जीवन बहुत सुविधाजनक बना दिया है। औद्योगिक क्रांति की वजह से करोड़ों लोगों का जीवन खुशहाल बना गया है। नई-नई दवाईयों की खोज की वजह से मनुष्य की उम्र लंबी होती जा रही है और मृत्यु दर कम होती जा रही है।
इस प्रकार हमे पता चलता है कि इस मशीनी युग ने हमें बहुत कुछ दिया है। लेकिन अगर हम अपने आस-पास के वातावरण को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि यह प्रगति ही हमारे जीवन में जहर घोल रही है। इस जहर का एक रूप चारों तरफ फैला हुआ प्रदुषण भी है।
जहाँ पर पानी दूषित हो जाता है वहाँ का जीवन भी संकट में पड़ जाता है। गंगा नदी को बहुत पवित्र माना जाता था और उसमे जो भी स्नान कर लेता था उसे पवित्र माना जाता था लेकिन वही गंगा नदी आज कारखानों से निकलने वाले कचरे की वजह से दूषित हो गई है। लेकिन भारत सरकार ने गंगा की स्वच्छता के लिए कानूनों को लागू किया है।
प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण कई तरह का होता है – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। प्रदूषण सभी प्रकार का घातक होता है लेकिन जल प्रदूषण ने हमारे देश के लोगों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। जल प्रदूषण से तात्पर्य होता है नदी, झीलों, तालाबों, भूगर्भ और समुद्र के पानी में ऐसे पदार्थ मिल जाते हैं जो पानी को जीव-जंतुओं और प्राणियों के प्रयोग करने के लिए योग्य नहीं रहता है वह अयोग्य हो जाता है। इसी वजह से हर एक जीवन जो पानी पर आधारित होता है वह बहुत अधिक प्रभावित होता है।
जल प्रदूषण का कारण : जल प्रदूषण का एक सबसे प्रमुख कारण हमारे उद्योग धंधे होते हैं। हमारे उद्योग धंधों, कल-कारखानों के जो रासायनिक कचरा निकलता है उसे सीधे नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है। जो कचरा नदियों और तालाबों में छोड़ा जाता है वह बहुत अधिक जहरीला होता है और यह नदियों और तालाबों के पानी को भी जहरीला बना देता है।
नदियों और तालाबों के पानी के दूषित होने की वजह से उसमें रहने वाले जीव-जंतु मर जाते हैं और अगर उस पानी को कोई पशु या मनुष्य पीता है तो पशु मर जाता है और मनुष्य बहुत सी बिमारियों का शिकार बन जाता है। उद्योग धंधों के अलावा बहुत से और कारण हैं जिनकी वजह से जल प्रदूषण होता है।
हमारे शहरों और गांवों से जो कचरा बाहर निकलता है उसे नदियों और तालाबों में फेंक दिया जाता है। आज के समय में लोग खेती में भी रासायनिक उर्वरक और दवाईयों का प्रयोग करते हैं जिसकी वजह से पानी के स्त्रोत बहुत प्रभावित होते हैं। जब नदियों का दूषित पानी समुद्र में जाकर मिलता है तो समुद्र का पानी भी दूषित हो जाता है।
प्लास्टिक के ढेर के अधिक बढने पर उसे समुद्र में फेंक दिया जाता है। कभी-कभी जब दुर्घटना हो जाती है तो जहाजों का ईंधन समुद्र में फैल जाता है जिससे जल प्रदूषण अधिक होता है। यह तेल समुद्र में चारों तरफ फैल जाता है और पानी पर एक परत बना देता है। इसकी वजह से समुद्र में रहने वाले अनेकों जीव-जंतु मर जाते हैं।
जब लोग तालाबों में स्नान करते हैं और उसी में शरीर की गंदगी और मल-मूत्र कर देते हैं तो तालाब का जल दूषित हो जाता है। जब नदियों और नालों का गंदा पानी जल में मिल जाता है तो जल दूषित हो जाता है। जब जल को एक जगह पर इकट्ठा किया जाता है और उसमें कूड़ा-कचरा जाने से भी जल दूषित हो जाता है।
लोग कपड़ों और बर्तनों को घरों पर धोने की जगह पर नदी या तालाबों के आस-पास जाकर धोते हैं जिसकी वजह से साबुन, बर्तन की गंदगी, सर्प का पानी सभी नदी और तालाब के पानी में मिल जाते हैं जिस वजह से पानी दूषित हो जाता है और यही विनाश का कारण बनता है।
कुछ लोग बचे हुए या खराब भोजन को कचरे की थैली में बांधकर उसे पानी में बहा देते हैं जिससे वह नदी या तालाब के पानी में मिलकर उसको दूषित कर देता है। जो लोग नदी या जलाशयों के पास बसे होते हैं वो लोग किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उसे जलाने की अपेक्षा उसे पानी में बहा देते हैं और लाश के सड़ने से पानी में विषैले कीटाणुओं की संख्या और अधिक बढ़ जाती है और प्रदूषण को बहुत अधिक मात्रा में बढ़ा दिया जाता है।
हवा में गैस और धूल मौजूद होते हैं और ये सब वर्षा के पानी के साथ मिल जाते हैं और जहाँ-जहाँ पर यह पानी जमा होता है वहाँ पर जल प्रदूषण बढ़ता है। जब जल में परमाणु के परिक्षण किये जाते हैं तो इसमें कुछ नाभिकीय कण मिल जाते हैं जो जल को दूषित कर देते हैं।
जल प्रदूषण की समस्या या प्रभाव : आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। पहले जो लोग नदियों और तालाबों के पानी को पीकर जीवित रहते थे आज के समय में उस पानी को पीकर लोग कई बिमारियों का शिकार बन जाते हैं। यहाँ तक कि करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को भी झेलते हैं।
दूषित जल का सेवन करने से मनुष्य को हैजा, पेचिस, क्षय और उदर से संबंधित समस्याओं का समाना करना पड़ता है। मनुष्य के अंदर केवल दूषित जल ही नहीं बल्कि फीताकृमी और गोलाकृमी भी पहुंच जाते हैं जिसकी वजह से मनुष्य रोग ग्रस्त हो जाता है। जब समुद्रों में परमाणु परिक्षण किये जाते हैं तो उस समय समुद्र में कुछ नाभिकीय कण मिले रह जाते हैं जिसकी वजह से समुद्र के जीव और वनस्पतियों के साथ-साथ समुद्र के पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ जाता है।
जब जलों में कारखानों से अवशिष्ट पदार्थ, गर्म जल मिलता है तो जल प्रदूषण के साथ-साथ वातावरण भी गर्म होता है जिसकी वजह से वहाँ के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की संख्या कम होने लगती है और जलीय पर्यावरण भी असंतुलित हो जाता है। अगर इसी तरह से जल प्रदूषण होगा तो स्वच्छ जल की आवश्यकता पूर्ति नहीं हो पायेगी।