Hindi, asked by Shatruhanpatel, 4 months ago

वाटर प्यूरीफायर क्या है? तथा वर्तमान स्थिती को
ध्यान में रखते हुवे उसकी आवश्यकता
बढ़ गयी है, क्यो समझाइए।​

Answers

Answered by cutegirl1557
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Answer:

जल मानव जीवनयापन की एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। दिन-प्रतिदिन बढ़ते जल प्रदूषण से आज घर-घर में वाटर प्योरिफायर लगते जा रहे हैं। आज बाजार में एक हजार रुपए से लेकर पचास हजार रुपए तक की कीमत वाले लगभग 71 नामों से (तालिका 1) वाटर प्योरिफायर्स उपलब्ध हैं। वाटर प्योरिफायर्स के विषय में एक आम व्यक्ति को वैज्ञानिक जानकारी बहुत कम है। एक आम व्यक्ति को तो यह जानकारी नहीं होती कि पीने योग्य पानी में क्या-क्या होना चाहिए तथा कितना होना चाहिए एवं क्या नहीं होना चाहिए? अतः इस विषय पर समाज के प्रत्येक नागरिक को जानकारी होनी आवश्यक है।

Explanation:

जल के शुद्धिकरण में मुख्य रूप से फिल्ट्रेशन तथा असंक्रमण (अल्ट्रावायलेट/क्लोरीनेशन) प्रक्रिया प्रयोग की जाती हैं। फिल्ट्रेशन प्रकिया में सस्पेंडिड साॅलिड, बड़े माइक्रोआॅरर्गेनिज्म पेपर तथा कपड़े के बारीक-बारीक टुकड़े धूल के कण इत्यादि को जल से अलग किया जाता है। घरेलू स्तर पर इन फिल्टरों में विशेष पदार्थ की झिल्ली (Membran) या कार्टरिज (Cartidge) का प्रयोग किया जाता है तथा इसे एक बन्द तंत्र (Closed System) में स्थापित किया जाता है। ये फिल्टर विभिन्न साइजों में उपलब्ध हैं जैसे माइक्रोफिल्टर, तथा अल्ट्राफिल्टर (मैमब्रेन)। माइक्रोफिल्टर 0.04 से 1.0 माइक्रो मीटर साइज के कणों तथा माइक्रोब्स को जल से अलग करता है तथा कार्टरिज के रूप में उपलब्ध है इन कार्टरिज की आकृति ट्यूबलर, डिस्क प्लेट, स्पाइरल तथा खोखले फाइबर के रूप में होती है जो जल में घुलिस ठोस के अनुसार 5 से 8 वर्ष तक चल जाती है। अलग-अलग कम्पनी अपने वाटर प्योरिफायर में अलग-अलग प्रकार के फिल्टर तथा उनकी संख्या बढ़ाकर, चाहे उनकी आवश्यकता हो न हो, कीमत बढ़ा देती है। अल्ट्रा फिल्ट्रेशन में 0.005 से 0.10 माइक्रोमीटर साइज के उच्च परमाणु भार वाले यौगिकों, कोलोइड्स पायरोक्सिन, माइक्रोआॅर्गेनिज्म तथा सस्पेंडिड साॅलिड्स को दूर किया जाता है। अल्ट्राफिल्टर “मैमब्रेन” के रूप में होते हैं। इन फिल्टरों को भी ट्यूबलर डिस्क प्लेट, स्पाइरल तथा खोखले फाइबर के रूप में स्थापित किया जाता है। इन फिल्टरों का प्रयोग भी 5 से 8 वर्ष तक किया जा सकता है। परन्तु किसी भी फिल्टर से फाॅस्फोरस, नाइट्रेट तथा भारी धातुओं के आयनों को जल से दूर नहीं किया जा सकता है। सामुदायिक स्तर पर जल शुद्धिकरण हेतु स्लोसैंडफिल्टर तथा रैपिड सैंड फिल्टर का प्रयोग किया जाता है जो नगरपालिका/नगरनिगम स्तर पर किया जाता है।

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