विदाई संभाषण अंग्रेजी शासन काल में भारतीयों की किस स्थिति को उजागर करता है ?
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Answer:
take it
Explanation:
की संज्ञा देने के लिए काफ़ी है। इसी के कारण उस व्यक्ति में इतना अहंकार आ गया कि वह मनमाने लोगों की नियुक्तियों के लिए ब्रिटिश सरकार को बाध्य करने लगा।
प्रश्न. 7.
‘विदाई संभाषण’ पाठ का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘विदाई-संभाषण’ उनकी सर्वाधिक चर्चित व्यंग्य-कृति ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ का एक अंश है। यह पाठ भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन (जो 1899-1904 एवं 1904-1905 तक दो बार वायसराय रहे) के शासन में भारतीयों की स्थिति का खुलासा करता है। उनके शासन काल में विकास के बहुत सारे कार्य हुए, नए-नए आयोग बनाए गए, किन्तु उन सबका उद्देश्य शासन में गोरों का वर्चस्व स्थापित करना और इस देश के संसाधनों का अंग्रेजों के हित में सर्वोत्तम उपयोग करना था। वे कांग्रेस एवं शिक्षित वर्गों को घृणा की दृष्टि से देखते थे, क्योंकि ये उनके शासन की सच्चाइयों को समझते थे। हर स्तर पर कर्जन ने अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश की। वे सरकारी निरंकुशता के पक्षधर थे। लिहाजा प्रेस की स्वतंत्रता तक पर उन्होंने प्रतिबंध लगा दिया। अंततः कौंसिल में मनपसंद अंग्रेज़ सदस्य नियुक्त करवाने के मुद्दे पर उन्हें देश-विदेश दोनों जगहों पर नीचा देखना पड़ा। क्षुब्ध होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया और वापस इंग्लैंड चले गए। इस पाठ में भारतीयों की बेबसी, दुख एवं लाचारी को व्यंग्यात्मक ढंग से लॉर्ड कर्जन की लाचारी से जोड़ने की कोशिश की गई है। साथ ही यह दिखाने की कोशिश की गई है कि शासन के आततायी रूप से हर किसी को कष्ट होता है–चाहे। वह सामान्य जनता हो या फिर लॉर्ड कर्जन जैसा वायसराय। यह उस समय लिखा गया गद्य का नमूना है, जब प्रेस की पाबंदी का दौर चल रहा था। ऐसी स्थिति में विनोदप्रियता, चुलबुलापन, संजीदगी, नवीन भाषा-प्रयोग एवं रवानगी के साथ ही यह एक साहसिक गद्य का भी नमूना है।