Hindi, asked by reenakumari6939, 7 months ago

वैदिक काल में हिंदुओं में कैसी लॉटरी चलती थी जिसका जिक्र लेखक ने किया है class 12 th mae​

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Answered by shishir303
4

‘सुमिरिनि के मनके’ पाठ में लेखक ने एक अलग प्रकार की लॉटरी का जिक्र किया है। वैदिक काल में उस समय एक अलग तरह की लॉटरी चलती थी। इस लॉटरी में एक हिंदू युवक अपना विवाह करने के लिए युवती के घर जाता था और अपने साथ सात तरह की मिट्टी के ढेले लेकर जाता था। यह ढेले अलग-अलग तरह की मिट्टी से बने होते थे और यह बात केवल युवक ही जानता था कि कौन सा ढेला कहाँ की मिट्टी से बना है। अर्थात ये ढेले  मसान, खेत, वेदी, चौराहे तथा गौशाला आदि जगह से लाई गयी की मिट्टियों से बने होते थे। हर मिट्टी के ढेले का अपना-अलग मतलब हुआ करता था।

युवक इन ढेलों को युवती के सामने रखकर युवती से उन ढेलों में से एक ढेला चुनने को कहता था। जब युवती से ढेला चुनने को कहा जाता तो युवती मिट्टी के ढेले में से जो ढेला उठाती तो उसी के अनुसार निर्णय किया जाता था।

यदि युवती गौशाला की मिट्टी का ढेला उठाती तो उससे जन्म लेने वाला पुत्र पशुधन से धनवान माना जाता। यदि युवती वेदी की मिट्टी से बना ढेला उठाती तो युवती से जन्म लेने वाला पुत्र विद्वान बनता। यदि युवती मसान की मिट्टी से बने ढेले को उठाती तो यह अमंगल का प्रतीक माना जाता था। इस तरह अन्य ढेलों के साथ भी कोई ना कोई मान्यता जुड़ी होती थी।

इस तरह की प्रथा एक लॉटरी के समान थी जिसने सही ढेला उठा लिया तो उसे वर या वधू प्राप्त हो जाते। यदि गलत ढेला उठा लिया तो उसको निराशा हाथ लगती थी। इसी कारण लेखक ने इस प्रथा को लॉटरी के सामान का है।

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‘सुमिरिनी के मनके’ पाठ से संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼

'घड़ी के पुर्जे ' शीर्षक ' मनके ' का मूल प्रतिपाद्य स्पष्ट करते हुए लिखिए कि लेखक ने इसके माध्यम से क्या बताना चाहा है |

https://brainly.in/question/23547706

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Answered by nitikachadda18
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