Art, asked by dhurveysuraj770, 6 months ago

वैदिक साहित्य का परिचय दीजिए​

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Answered by diptichhetrib
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वैदिक साहित्य से तात्पर्य उस विपुल साहित्य से है जिसमें वेद, ब्राह्मण, अरण्यक एवं उपनिषद् शामिल हैं। वर्तमान समय में वैदिक साहित्य ही हिन्दू धर्म के प्राचीनतम स्वरूप पर प्रकाश डालने वाला तथा विश्व का प्राचीनतम् स्रोत है। वैदिक साहित्य को 'श्रुति' कहा जाता है, क्योंकि (सृष्टि/नियम)कर्ता ब्रह्मा ने विराटपुरुष भगवान् की वेदध्वनि को सुनकर ही प्राप्त किया है। अन्य ऋषियों ने भी इस साहित्य को श्रवण-परम्परा से ही ग्रहण किया था तथा आगे की पीढ़ियों में भी ये श्रवण परम्परा द्वारा ही स्थान्तरित किये गए। इस परम्परा को श्रुति परम्परा भी कहा जाता है तथा श्रुति परम्परा पर आधारित होने के कारण ही इसे श्रुति साहित्य भी कहा जाता है।

वैदिक साहित्य के अन्तर्गत ऊपर लिखे सभी वेदों के कई उपनिषद, आरण्यक [1] इनकी भाषा संस्कृत है जिसे अपनी अलग पहचान के अनुसार वैदिक संस्कृत कहा जाता है - इन संस्कृत शब्दों के प्रयोग और अर्थ कालान्तर में बदल गए या लुप्त हो गए माने जाते हैं। ऐतिहासिक रूप से प्राचीन भारत और हिन्दू-आर्य जाति के बारे में इनको एक अच्छा सन्दर्भ माना जाता है। संस्कृत भाषा के प्राचीन रूप को लेकर भी इनका साहित्यिक महत्त्व बना हुआ है।संहिता (मन्त्र भाग)

ब्राह्मण-ग्रन्थ (गद्य में कर्मकाण्ड की विवेचना)

आरण्यक (कर्मकाण्ड के पीछे के उद्देश्य की विवेचना)

उपनिषद (परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन)

जब हम चार 'वेदों' की बात करते हैं तो उससे संहिता भाग का ही अर्थ लिया जाता है। उपनिषद (ऋषियों की विवेचना), ब्राह्मण (अर्थ) आदि मंत्र भाग (संहिता) के सहायक ग्रंथ समझे जाते हैं। वेद ४ हैं - ऋक्, साम, यजुः और अथर्व। पूर्ण रूप में ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद व अथर्ववेद

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