वंदाकी सहेलियां उनके घर क्यों आयी थी?
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हिंदी या संस्कृत वर्णमाला का उन्नीसवाँ व्यंजन वर्ण, जो उकार का विकार और अंतस्थ अर्धव्यंजन माना जाता है। इसका उच्चारणस्थान दंत्योष्ठ है, अर्थात् दाँत और से इसका उच्चारण होता है। प्रयत्न ईषत्स्पृष्ट होता है, अर्थात् उच्चारण के समय दाँतों का ओठ से कुछ स्पर्श होता है। हिंदी में इस वर्ण का उच्चाऱण अधिकतर केवल ओठ से होता है; केवल संस्कृताम्यासी लोग ही शुद्ध दंत्योष्ठ उच्चारण करते हैं।
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