वैदिक वांग्मय के ऋग्वेद के प्रथम मंत्र सूक्त का भावार्थ लिखिये
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ऋग्वेद के प्रथम सूक्त में अग्निदेव कायज्ञ में आवाहन किया जाता है, उनकी महिमा, उनकी हर जगह उपस्थिति और उनके द्वारामानव जीवन के कल्याण के बारे में चर्चा की गई है. उनसे विनती की गई है कि वे यज्ञमें पधारे और यज्ञ को आगे बढायें और यज्ञ करने वाले यजमान को यज्ञ के लाभ सेविभूषित करें. साथ ही अग्निदेव को पिता के रूप में भी दिखाया गया है और उनसे विनतीकी गई है कि जिस तरह पुत्र को पिता बिना जतन के मिल जाते है उसी प्रकार अग्निदेवभी सब पर एक पिता के रूप में अपनी दृष्टि बनायें रखें.
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