Hindi, asked by ferozlathif74, 7 months ago

वेदों में स्त्री की तुलना पुरुषों से की है क्यों​

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Answered by RedRavan
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Answer:

jaake padh ved

dusro se kyu puchna

ekdam useless

Answered by rameshcrajak23
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Answer:

भारतवर्ष में सदा से नारियों का समुचित सम्मान रहा है। उन्हें पुरुषों की अपेक्षा अधिक पवित्र माना जाता रहा है। नारियों को बहुधा ‘देवी’ सम्बोधन से सम्बोधित किया जाता रहा है। नाम के पीछे उनकी जन्मजात उपाधि ‘देवी’ प्राय: जुड़ी रहती है। शान्ति देवी, गंगा देवी, दया देवी आदि ‘देवी’ शब्द पर कन्याओं के नाम रखे जाते हैं। जैसे पुरुष बी० ए०, शास्त्री, साहित्यरत्न आदि उपाधियाँ उत्तीर्ण करने पर अपने नाम के पीछे उस पदवी को लिखते हैं, वैसे ही कन्याएँ अपने जन्म- जात ईश्वर प्रदत्त दैवी गुणों, दैवी विचारों और दिव्य विशेषताओं के कारण अलंकृत होती हैं।

देवताओं और महापुरुषों के साथ उनकी अर्धांगिनियों के नाम भी जुड़े हुए हैं। सीताराम, राधेश्याम, गौरीशंकर, लक्ष्मीनारायण, उमामहेश, माया- ब्रह्म, सावित्री- सत्यवान् आदि नामों से नारी को पहला और नर को दूसरा स्थान प्राप्त है। पतिव्रत, दया, करुणा, सेवा- सहानुभूति, स्नेह, वात्सल्य, उदारता, भक्ति- भावना आदि गुणों में नर की अपेक्षा नारी को सभी विचारवानों ने बढ़ा- चढ़ा माना है।

इसलिये धार्मिक, आध्यात्मिक और ईश्वर प्राप्ति सम्बन्धी कार्यों में नारी का सर्वत्र स्वागत किया गया है और उसे उसकी महत्ता के अनुकूल प्रतिष्ठा दी गयी है

hope you understand it..

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