वृंद ने अपने दोहों के माध्यम से जीवन की किन सच्चाइयों पर प्रकाश डाला है?
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कवि वृन्द का जन्म संवत् १७२० के लगभग मथुरा के आसपास हुआ था। आपकी शिक्षा कांशी में हुई थी। बाद में कृष्णगढ़ के महाराज मानसिंह ने उन्हें अपना दरबारी बनाकर सम्मानित किया। वे आजीवन वहीं रहे।
कवि वृन्द की ख्याति विशेष रूप से नीति-काव्य के लिए है। आपकी प्रमुख रचना है - वृन्द सतसई। इसमें सात सौ दोहे हैं। आपकी भाषा सरल-सुबोध है। कहावतों और मुहावरों का प्रयोग सुन्दर ढंग से हुआ है।
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बोरिंग ढूंढने अपने दोहे के माध्यम से जीवन की अनेक सच्चाई ऊपर प्रकाश डाला है समाज में जीवित लोगों को महत्व नहीं दिया जाता मरने के बाद उनकी तस्वीर लगाकर पूजा की जाती है वृंद कहते हैं कि प्लास्टिक का कार्य का समाज पर महत्व है प्यासे को मृत्यु के पोस्टर कितनी भी पानी पिलाए वह जीवित नहीं हो सकता वह कहते हैं संसार में लोग शक्तिशाली की ही सहायता करते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए हमें अमीर गरीब सब की सहायता ट के लिए तत्पर रहना चाहिए सत्य है कि बड़े वह भले लोगों के साथ रहने में ही हमारी भलाई है वृंद के साथ लगी बेल उसी के मां बराबर बढ़ती है अंत हमें भले वह बड़े लोगों की संगति में रहने का प्रयास करना चाहिए उनका कहना है कि सच्ची वीरता उनमें होती है जिनकी प्रकृति मिलती है जिनका स्वाभाव मिलता है बेले लोगों में मिलाप नहीं हो सकता यदि हो भी जाए तो परिणाम बुरा होता है आजकल लोग बाहरी दिखावा अधिक करते हैं लेकिन शेर की खाल पहन ने से कोई शेर नहीं हो जाता है अंत हमें दिखावा कम करते हुए और शोभा परिवर्तन पर ध्यान देना चाहिए।
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यही आपका सवाल का जवाब है धन्यवाद