विद्रोहमय स्नेह का क्या अभिप्राय है
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विद्रोहमय स्नेह का क्या अभिप्राय है
- झूरी ने हीरा-मोती को गया के घर काम करने भेजा था पर इन दोनों को वहाँ गाँव, घर तथा मनुष्य सब बेगाने जैसे लग रहे थे। उन्हें गया से भी स्नेह नहीं मिल रहा था। ... उन्हें अपने बेचे जाने का भ्रम होने के कारण उनकी आँखों में विद्रोहमय स्नेह झलक रहा था l
विद्रोहमय स्नेह का क्या अभिप्राय है?
विद्रोहमयी से तात्पर्य उसने ऐसे स्नेह से हैं, जो अपने उस प्रियजन के प्रति होता है, जिसने आपकी इच्छा के विरुद्ध आप पर कोई अपना निर्णय थोपने अपने का प्रयत्न किया है। इस कारण आपको उनका निर्णय तो पसंद नहीं आया लेकिन आप उनसे प्रेम करते हैं। इस कारण आपके मन में विद्रोह उत्पन्न हो जाता है। इसके साथ साथ प्रेम भी करते हैं। इसलिए विद्रोहमयी स्नेह प्रकट करते हैं।
'दो बैलों की कथा' पाठ में दोनों बैलों हीरा और मोती के साथ भी यही हुआ था। उनके मालिक झूरी ने दोनों को इच्छा के विपरीत उसे अपने साले गया के साथ भेज दिया और वह दोनों बैल वहां से वापस भाग आए और जब वापस आए तो उनकी आँखों में मालिक के प्रति विद्रोहमयी स्नेह झलक रहा था।
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