Hindi, asked by nisharana266, 1 year ago

विदेशो में हिंदी की विभिन्न संदर्भो में उपयोगिता की चर्चा कीजिये

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Answered by shraddha647463
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Answer:

अब तक हमने भारत के प्राकृतिक संसाधनों के बारे में जानकारी हासिल की। इन संसाधनों के अन्तर्गत भूमि, मृदा, जल, वन, खनिज तथा वन्य-जीव इत्यादि आते हैं। हमने इन उपरोक्त संसाधनों के वितरण एवं दोहन की दर एवं दिशा तथा विकास के कार्यक्रमों में उनकी उपयोगिता के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। इन्हीं संसाधनों का यहाँ के देशवासियों के सनदर्भ में अध्ययन करना है। लोगों या जनता से अभिप्राय यहाँ की जनसंख्या को केवल उपभोक्ता की संख्या के रूप में ही नहीं बल्कि उन्हें यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्धक के रूप में मानने से है।

इसके लिये सही मायने में लोगों के शैक्षिक तथा स्वास्थ्य स्तर, उनके व्यावसायिक, तकनीकी एवं सामाजिक दक्षता पर ध्यान देते हैं। और इससे भी अधिक लोगों की आकांक्षाओं एवं प्रचलित मान्यताओं के साथ कार्य नीति पर ध्यान देने की जरूरत है। इस संदर्भ में आप अनुभव करेंगे कि लोग प्राकृतिक संसाधनों के केवल उपभोक्ता ही नहीं अपितु ये देश की अनमोल परिसम्पति हैं। इस पाठ में हम भारत की जनसंख्या के आकार का मूल्यांकन विश्व जनसंख्या के सनदर्भ में करेंगे। इसलिये पहले जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व तथा इन पहलुओं को प्रभावित करने वाली विभिन्न कारकों का अध्ययन करेंगे। अन्त में जनसंख्या में वृद्धि करने वाली प्रवृत्तियों तथा उन्हें प्रभावित करने वाले निर्धारकों के साथ परिणामों का भी विश्लेषण करेंगे।

उद्देश्य

इस पाठ का अध्ययन करने के पश्चात आपः

- विश्व जनसंख्या के परिप्रेक्ष्य में भारत की जनसंख्या के आकार को समझा सकेंगे ;

- भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के लिये उत्तरदायी कारकों का विश्लेषण कर सकेंगे ;

- भारत के मानचित्र पर सघन, सामान्य तथा विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों को दर्शा सकेंगे ;

- जनसंख्या के वितरण, घनत्व तथा उसकी वृद्धि के बारे में आँकड़ों की व्याख्या कर सकेंगे ;

- पिछले सौ वर्षों (1901-2001) में जनसंख्या में हुई वृद्धि की प्रवृत्ति का विवेचन कर सकेंगे ;

- जनसंख्या में होने वाली तीव्र-वृद्धि के लिये उत्तरदायी कारकों की पहचान कर सकेंगे ;

- जनसंख्या विवेचन में प्रयुक्त बहुत सी शब्दावलियाँ, जैसे-जन्म-दर, मृत्यु-दर, इत्यादि की भलीभाँति व्याख्या कर सकेंगे ;

- जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि को कम करने की आवश्यकता को महसूस कर सकेंगे;

- देश के किसी भी क्षेत्र में आप्रवासन एवं उत्प्रवासन के कारणों एवं परिणामों का विश्लेषण कर सकेंगे।

26.1 भारत की जनसंख्या

विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत है। एक मार्च सन 2001 को भारत की कुल जनसंख्या 1027 मिलियन याने एक अरब 27 करोड़ हो चुकी थी। यह संख्या विश्व की कुल जनसंख्या के 16.7 प्रतिशत के बराबर है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि विश्व का हर छठवां व्यक्ति भारतीय है। चीन हमसे एक कदम आगे है क्योंकि विश्व में हर पाँचवा व्यक्ति चीन का है। भारत में उपलब्ध भूमि विश्व की कुल भूमि का 2.42 प्रतिशत ही है और इतनी ही भूमि पर विश्व की कुल जनसंख्या का करीब 17 प्रतिशत भारत में है।

क्षेत्रीय प्रसार की दृष्टि से विश्व में भारत का स्थान रूस, कनाडा, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और आस्ट्रेलिया के बाद सातवां है। चीन को छोड़ दें तो बचे पाँचों बड़े क्षेत्रफ़ल वाले देशों की कुल जनसंख्या भारत की जनसंख्या के मुकाबले बहुत कम है। इन पाँचों देशों के क्षेत्रफ़ल को मिला दें तो वह भारत के क्षेत्रफ़ल से 16 गुना बड़ा क्षेत्रफ़ल होगा और इस क्षेत्रफ़ल में रहने वाली आबादी की मिली जुली जनसंख्या भारत की जनसंख्या से बहुत कम है। यह तथ्य दर्शाता है कि सीमित भूमि संसाधन में इतनी विशाल जनसंख्या के कारण हम कितने असहाय एवं अवरोधों से ग्रसित हैं।

यह भी दृष्टव्य है कि तीन महाद्वीपों-उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या को जोड़ दिया जाए तो भी भारत की जनसंख्या से कम है। और इसके साथ विडम्बना यह कि प्रति वर्ष हमारी जनसंख्या में 1 करोड़ 70 लाख व्यक्तियों का इजाफा हो रहा है। यह संख्या आस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या से ज्यादा है। विश्व की सबसे घनी आबादी वाले चीन में जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि-दर भारत की वार्षिक दर से कम है।

26.2 जनसंख्या का घनत्व तथा वितरण

संसार की जनसंख्या अथवा किसी भी देश की जनसंख्या उसके सभी भागों में समान रूप से वितरित नहीं होती। भारत के लिये भी यह तथ्य लागू होता है। देश के कुछ भागों में घनी जनसंख्या है कुछ भागों में मध्यम जनसंख्या है तो कुछ भाग विरल बसे हैं।

विभिन्न क्षेत्रों की जनसंख्या के आकार की तुलना कई तरीकों से की जा सकती है। इनमें से एक तरीका है कि विभिन्न क्षेत्रों की पूरी जनसंख्या के आकार की तुलना करना। परन्तु इस विधि में जनसंख्या तथा उस क्षेत्र या प्रांत के क्षेत्रफ़ल अथवा उसके आधार संसाधनों के एवं आर्द्रता, नमी वाले पूर्वी हिमालय भूभाग का उदाहरण लें। इन कारणों से यहाँ जनसंख्या का वितरण असमान तथा घनत्व कम है। केरल एवं पश्चिम बंगाल की भौगोलिक परिस्थितियाँ इतनी अनुकूल हैं कि आबादी सघन एवं समान रूप से वितरित है। पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला के पवन-विमुख भाग तथा राजस्थान के भागों में घनत्व कम है।

3. मृदा - यह बहुत हद तक जनसंख्या के घनत्व एवं वितरण को प्रभावित करता है। वर्तमान औद्योगीकरण एवं उद्योग प्रमुख समाज में मृदा कैसे जनसंख्या को प्रभावित करने में सक्षम हो सकती है। यह स्वा) एक

Answered by dackpower
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विदेशो में हिंदी की विभिन्न संदर्भो में उपयोगिता की चर्चा

Explanation:

विदेशों में हिंदी को बढ़ावा देना सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता का विषय है। विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार से संबंधित कार्यों के समन्वय के लिए, दो साल पहले मंत्रालय में एक अलग विभाग की स्थापना की गई थी। विदेश मंत्रालय द्वारा विदेशों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए तब से कई पहल की गई हैं।

१०-१२ सितंबर २०१५ को भोपाल में विदेश मंत्रालय द्वारा १० वें विश्व हिंदी सम्मेलन की परिकल्पना की गई थी जिसमें भारत और विदेश से बड़ी संख्या में भाग लिया था। सम्मेलन में हिंदी भाषा के प्रचार से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की गई। 10 वें विश्व हिंदी सम्मेलन में पारित सिफारिशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए माननीय विदेश मंत्री की अध्यक्षता में एक सिफारिश कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है। समयबद्धता और सिफारिशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए समिति तीन महीने के अंतराल पर नियमित रूप से बैठक करती है। पेरिस और मॉस्को में पिछले एक साल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों सहित हिंदी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विदेशों में विदेश मंत्रालय द्वारा क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।

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