विदेशी यात्रियो के लेख किस प्रकार ऐतिहासिक स्रोत है
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उसने लिखा है कि भारत में दुर्भिक्ष नहीं पङते थे। उसके अनुसार मौर्य काल में नगर का प्रबंध एक नगर परिषद द्वारा होता था जिसमें पाँच-2 सदस्यों वाली छः समितियाँ काम करती थी। इसने भारतीय पत्तनों, बंदरगाहों तथा व्यापारिक माल का वर्णन किया गया है। यह संगम युग का महत्वपूर्ण विदेशी साहित्यिक स्रोत है।
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उसने लिखा है कि भारत में दुर्भिक्ष नहीं पङते थे। उसके अनुसार मौर्य काल में नगर का प्रबंध एक नगर परिषद द्वारा होता था जिसमें पाँच-2 सदस्यों वाली छः समितियाँ काम करती थी। इसने भारतीय पत्तनों, बंदरगाहों तथा व्यापारिक माल का वर्णन किया गया है। यह संगम युग का महत्वपूर्ण विदेशी साहित्यिक स्रोत है
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