वृद्धों की दयनीय स्थिति और उपाय in hindi essay
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हमारा समाज आज से पहले पेड़ों, पत्थरों से लेकर जानवरों तक को पूजता था, आज अपने बुजुर्गों को दरकिनार कर रहा है. माता-पिता को देवता माननेवाले बेटे अब उन्हें ही बोझ समझने लगे हैं. बुजुर्गो पर होनेवाले अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं. एक वक्त था, जब माता-पिता को आदर्श मान उनका सम्मान किया जाता था. पूरे संसार में शायद भारत ही एक ऐसा देश है, जहां तीन पीढ़ियां सप्रेम एक ही घर में रहती थीं. आज पाश्चात्य सभ्यता के वशीभूत देश के नौजवान माता-पिता के साथ चंद सेकेंड बिताना भी मुनासिब नहीं समझते. इस तरह की सोच देश में मध्यम और निम्न परिवार में कम और पढ़े-लिखे, ज्ञानवान, धनवान और सभ्य समाज में ज्यादा देखने को मिल रही है. देश के ओल्ड एज होम्स में रिटायरमेंट के बाद का जीवन बितानेवालों की संख्या अधिक है. कुछ बुजुर्ग तो ऐसे हैं, जिन्हें घर में ही कैद कर दिया गया है. इन बुजुर्गो के संरक्षण के लिए देश में कानून भी बने हैं. जानकारी के अभाव और बदनामी के डर से बुजुर्ग कानून का सहारा लेने से हिचकते हैं. कई मामलों में बुजुर्ग अपने बच्चों को इस कदर प्यार करते हैं कि उनकी प्रताड़ना भी खामोशी से सह लेते हैं. जो माता-पिता अपनी औलाद के आगमन की खुशी में मोहल्ले में मिठाइयां बांटते फिरते थे और उसकी एक हंसी से दुनिया की पूरी खुशियां प्राप्त कर लेने की अनुभूति करते थे, वही औलाद माता-पिता की एक छोटी-सी इच्छा की पूर्ति करने में आनाकानी कर रही है. उन्हें अपने जीवन का बोझ समझती है. माता-पिता के प्रति नफरत बढ़ती ही जा रही है. भले ही देश के युवाओं की सोच बदल गयी हो, लेकिन माता-पिता अब भी नहीं बदले हैं. हमें समाज में सुधार लाने के प्रयास करने ही होंगे. हरिश्चंद्र महतो, बेलपोस , प सिंहभूम
वृद्धों की दयनीय स्थिति और उपाय |
Explanation:
वृद्ध लोगों का प्राचीन काल से ही हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है लेकिन आधुनिक युग में वृद्धों की दशा दयनीय होती जा रही है। आधुनिक युग में सभी युवा अपने छोटे परिवार के साथ अपने माता-पिता से अलग एकल परिवार मैं रहना अधिक पसंद करते हैं । एकल परिवार में रहने के युवाओं के लिएबहुत अधिक फायदे होते हैं जैसे उन्हें अपने बूढ़े माता-पिता का काम नहीं करना पड़ता और ना ही उनकी सेवा करने की उन्हें कोई चिंता होती है। बुढ़ापे में वृद्ध लोग अपने बच्चों पर बोझ भी नहीं बनना चाहते इसलिए वे भी उनके इस फैसले को खुशी-खुशी मान लेते हैं। वृद्ध लोग चाहे वे अपने बच्चों के साथ रहते हैं या अलग दोनों के ही जीवन स्तर में पहले की अपेक्षा गिरावट आई है। जो ब्रिज लोग अपने बच्चों के साथ रहते हैं उनके बच्चे उन्हें ना तो कोई सम्मान देते हैं और ना ही ठीक से खाना पीना जिस कारण वृद्ध लोग अकाल मृत्यु मर जाते हैं। जॉब विद लोग अपने बच्चों के साथ रहते हैं उनके बच्चे उन्हें केवल अपने स्वार्थ के लिए ही अपने साथ रखते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनके वृद्धावस्था की पेंशन उन्हें मिल जाएगी जिससे उनका अपना खर्चा चल जाएगा। वृद्धों की दयनीय स्थिति में हम कुछ चीजों को सम्मिलित कर सकते हैं जैसे बच्चों द्वारा अपने मां-बाप से सभी घरेलू कार्य करवाना, उन्हें मारना पीटना, घर से निकालने की धमकी देना आदि।
वृद्धों के दयनीय स्थिति में सुधार के लिए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:
- वृद्ध लोगो के साथ अच्छा व्यवहार करना।
- उनके साथ हंसकर मिलना और प्यार से बातें करना।
- वृद्ध लोगों की सेवा करना और उन्हें अच्छी चीजें खाने को देना।
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