वृद्धावस्था में होने वाले संवेगात्मक परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
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hii
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Explanation:
उम्र बढ़ने के साथ – साथ वृद्धों की संवेगात्मक स्थिरता में भी शीघ्र परिवर्तन आते हैं। संवेगात्मक परिवर्तन का मुख्य कारण होता है उनकी कार्यनिवृत्ति; सेवानिवृत्ति के बाद वृद्धों के लिये कोई कार्य नहीं रहता है। इस कारण उनका खाली वक्त काटे नहीं कटता है। निष्क्रियता और जरा मृत्यु की संकेतक होती हैं। कभी – कभी पत्नी से भी वैमनस्य हो जाता है जिसके कारण बुजुर्गों के सम्बन्ध परिवार के अन्य लोगों से भी बिगड़ जाते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद धन के अभाव में उसे अपने भविष्य से भय – सा लगने लगता है।
कार्य निवृत्ति, पारस्परिक मित्रों व जीवन – साथी के अभाव के कारण एकाकीपन, आर्थिक तंगी, पारिवारिक सदस्यों से बढ़ते मतभेद, गिरता हुआ स्वास्थ्य, संकुचित होता सामाजिक दायरा आदि कारक वृद्धों में उदासीनता बढ़ाते हैं जिससे उनमें चिड़चिड़ापन, झगड़ालू, सनकी व विरोधी होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। उनमें भय, व्याकुलता व निराशा की भावनाएँ अधिक पायी जाती हैं। संवेगात्मक स्थिरता के लिये वृद्धों को चाहिए कि वे किसी – न – किसी प्रकार के रुचिपूर्ण कार्य करें।
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