“विद्वान” ति पदस्य विलोम पदं कि प्रयुक्त ?
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Explanation:
वाध्—भ्वा॰ आ॰ <वाधते>, <वाधित>—-—-—तंग करना, उत्पीडित करना, सताना, अत्याचार करना, छेड़ना, कष्ट देना, दुःखी करना, परेशान करना, पीड़ा देना
वाध्—भ्वा॰ आ॰ <वाधते>, <वाधित>—-—-—मुकाबला करना, विरोध करना, निष्फल करना, रोकना, रूकावट डालना, अवरोध करना, हस्तक्षेप करना
वाध्—भ्वा॰ आ॰ <वाधते>, <वाधित>—-—-—आक्रमण करना, हमला करना, धावा बोलना
वाध्—भ्वा॰ आ॰ <वाधते>, <वाधित>—-—-—अनुचित व्यवहार करना, अन्याय करना
वाध्—भ्वा॰ आ॰ <वाधते>, <वाधित>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
वाध्—भ्वा॰ आ॰ <वाधते>, <वाधित>—-—-—हांक कर दूर करना, पीछे ढकेलना, हटाना
वाध्—भ्वा॰ आ॰ <वाधते>, <वाधित>—-—-—स्थगित करना, एक ओर रखना, रद्द करना, तोड़ना, मिटाना (नियम आदि)
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—पीडा, यातना, कष्ट, सन्ताप
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—रुकावट, छेड़छाड़, परेशानी
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—हानि, क्षति, घाटा, चोट
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—भय, खतरा
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—मुकाबला, विरोध
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—आपत्ति
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—प्रत्याख्यान, निराकरण
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—स्थगन, रद्द करना
वाधः—पुं॰—-—वाध् + घञ्—अनुमान प्रक्रिया में त्रुटि, हेत्वाभास के पाँच रूपों में से
वाधक—वि॰—-—वाध् + ण्वुल्—कष्ट देने वाला, सताने वाला, उत्पीडक
वाधक—वि॰—-—वाध् + ण्वुल्—छेड़छाड़ करने वाला, परेशान करने वाला
वाधक—वि॰—-—वाध् + ण्वुल्—उन्मूलन
वाधक—वि॰—-—वाध् + ण्वुल्—बाधा डालने वाला
वाधनम्—नपुं॰—-—वाध् + ल्युट्—तंग करना, उत्पीडन, परेशान करना, अशान्ति, पीडा
वाधनम्—नपुं॰—-—वाध् + ल्युट्—मिटाना
वाधनम्—नपुं॰—-—वाध् + ल्युट्—हटाना, स्थगन
वाधनम्—नपुं॰—-—वाध् + ल्युट्—निराकरण, प्रत्याख्यान
वाधना—स्त्री॰—-—वाध् + ल्युट्+टाप्—पीडा, कष्ट, चिन्ता, अशान्ति
वाधा—स्त्री॰—-—-—पीडा, यातना, कष्ट, सन्ताप
वाधा—स्त्री॰—-—-—रुकावट, छेड़छाड़, परेशानी
वाधा—स्त्री॰—-—-—हानि, क्षति, घाटा, चोट
वाधा—स्त्री॰—-—-—भय, खतरा
वाधा—स्त्री॰—-—-—मुकाबला, विरोध
वाधा—स्त्री॰—-—-—आपत्ति
वाधा—स्त्री॰—-—-—प्रत्याख्यान, निराकरण
वाधा—स्त्री॰—-—-—स्थगन, रद्द करना
वाधा—स्त्री॰—-—-—अनुमान प्रक्रिया में त्रुटि, हेत्वाभास के पाँच रूपों में से
वाधुक्यम्—नपुं॰—-—वधु + यत्, कुक्—विवाह
वाधूक्यम्—नपुं॰—-—वधू + यत्, कुक्—विवाह
वाध्रीणसः—पुं॰—-—वार्ध्रीणस, पृषो॰—गैंडा
वान—वि॰—-—वन् + अण्—खिला हुआ
वान—वि॰—-—वन् + अण्—(हवा से) सूखा हुआ, शुष्क
वान—वि॰—-—वन् + अण्—जंगली
वानम्—नपुं॰—-—-—सूखा फल
वानम्—नपुं॰—-—-—(हवा का) चलना
वानम्—नपुं॰—-—-—जीना
वानम्—नपुं॰—-—-—लुढ़कना, हिलना-जुलना
वानम्—नपुं॰—-—-—गन्ध द्रव्य, खुशबू
वानम्—नपुं॰—-—-—वृक्षों का समूह या झुरमुट
वानम्—नपुं॰—-—-—बुनना
वानम्—नपुं॰—-—-—तिनकों से बनी चटाई
वानम्—नपुं॰—-—-—घर की दीवार में छिद्र
वानप्रस्थः—पुं॰—-—वाने वनसमूहे प्रतिष्ठते-स्था + क—अपने धार्मिक जीवन के तीसरे आश्रम में प्रविष्ट ब्राह्मण
वानप्रस्थः—पुं॰—-—-—वैरागी, साधु
वानप्रस्थः—पुं॰—-—-—मधूक, वृक्ष
वानप्रस्थः—पुं॰—-—-—पलाश वृक्ष, ढाक
वानरः—पुं॰—-—वानं वनसंबंधि फलादिकं राति गृह्णति-रा + क, वा विकल्पेन नरो वा—बन्दर, लंगूर
वानराक्षः—पुं॰—वानरः-अक्षः—-—जंगली बकरा
वानरावातः—पुं॰—वानरः-आवातः—-—लोध्र नामक वृक्ष
वानरेन्द्रः—पुं॰—वानरः-इन्द्रः—-—सुग्रीव या हनुमान
वानरप्रियः—पुं॰—वानरः-प्रियः—-—खिरनी (क्षीरिन्) का पेड़्
वानलः—पुं॰—-—वानं वनभावं निविडतां लाति- ला + क—तुलसी का पौधा (काली तुलसी)
वानस्पत्यः—पुं॰—-—वनस्पति + ष्यञ्—वह वृक्ष जिसका फल उसकी मंजरी से उत्पन्न होता है
वाना—स्त्री॰—-—वान + टाप्—बटेर, लबा
वानायुः—पुं॰—-—वनायुः पृषो॰—भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित देश
वानायुजः—पुं॰—-—-—वनायु घोड़ा अर्थात् वनायु देश में उत्पन्न घोड़ा
वनीरः—पुं॰—-—वन् + ईरन् + अण्—एक प्रकार का बेंत
वानीरकः—पुं॰—-—वानीर + कन्—मूंज नामक घास, एक प्रकार का नड
वानेयम्—नपुं॰—-—वन + ढञ्—एक सुगंधित घास, मोथा
वान्तम्—भू॰ क॰ कृ॰—-—वम् + क्त—क़ै की गई, थूका गया
वान्तम्—भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उगला गया, प्रक्षिप्त, उंडेला हुआ
वान्तादः—पुं॰—वान्तम्-अदः—-—कुत्ता
वान्ति—स्त्री॰—-—वम् + क्तिन्—वमन
वान्ति—स्त्री॰—-—-—प्रक्षेप, उगाल
वान्तिकृत्—वि॰—वान्ति-कृत्—-—वमन कराने वाला
वान्तिद—वि॰—वान्ति-द—-—वमन कराने वाला
वान्या—स्त्री॰—-—वन + यत् + टाष्—उपवनों या जंगलों का समूह
वापः—पुं॰—-—वप् + घञ्—बीज बोना
वापः—पुं॰—-—-—बुनना
वापः—पुं॰—-—-—क्षौरकर्म करना, बाल मूंडना
वापदण्डः—पुं॰—वापः-दण्डः—-—जुलाहे का करघा
वापनम्—नपुं॰—-—वप् + णिच् + ल्युट्—बुवाना
वापनम्—नपुं॰—-—-—मुंडन, क्षौर
वापति—भू॰ क॰ कृ॰—-—वप् + णिच् + क्त—बोया हुआ
वापति—भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मुँडा हुआ
वापिः—स्त्री॰—-—वप् + इञ्—कुआँ, बावड़ी पानी का विस्तृत आयताकार जलाशय
वापी—स्त्री॰—-—वप् + ङीप्—कुआँ, बावड़ी पानी का विस्तृत आयताकार जलाशय
वापिहः—पुं॰—वापिः-हः—-—चातक पक्षी
वाम—वि॰—-—वम् + ण, अथवा वा + मन्—बायाँ
वाम—वि॰—-—-—बाई और स्थित या विद्यमान
वाम—वि॰—-—-—उलटा, विरुद्ध, विरोधी, विपरीत, प्रतिकुल
वाम—वि॰—-—-—विरुद्ध-कार्य करने वाला, विपरीत प्रकृति का @ श॰ ४/१८
वाम—वि॰—-—-—कुटिल, वक्रप्रकृति, दुराग्रहीं, हठी
वाम—वि॰—-—-—दुष्ट, दुर्वृत्त, अधम, नीच, कमीना
वाम—वि॰—-—-—प्रिय, सुन्दर, लावण्यमय
वामः—पुं॰—-—-—सजीव प्राणी, जन्तु
वामः—पुं॰—-—-—शिव
वामः—पुं॰—-—-—प्रेम के देवता,