Hindi, asked by arnavsingh20400, 8 months ago

वृथा वृष्टिः समुद्रेषु, वृथा तृप्तस्य भोजनम्।
वृथा दानं समर्थस्य, वृथा दीपो दिने यथा॥ [4
[]​

Answers

Answered by shishir303
48

वृथा वृष्टिः समुद्रेषु, वृथा तृप्तस्य भोजनम्।

वृथा दानं समर्थस्य, वृथा दीपो दिने यथा।।

अर्थ :  समुद्र में होने वाली वर्षा का कोई महत्व नहीं होता, क्योंकि उसका जल किसी उपयोग में नहीं आ पाता और व्यर्थ ही बह जाता है। पेट भर खाना खाने के बाद तृप्त हुए व्यक्ति को भोजन कराने का कोई महत्व नहीं। धनवान व्यक्ति को दान देने का कोई महत्व नहीं और सूर्य के प्रकाश में दीया जलाने का कोई महत्व नहीं।

भावार्थ : अर्थात कहने का तात्पर्य है कि जरूरतमंद के काम आने का महत्व है। समर्थ व्यक्ति की सहायता करने का कोई लाभ और महत्व नही होता।

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

Answered by HalfBrainAsksYOU
6

Answer:

वृथा वृष्टिः समुद्रेषु, वृथा तृप्तस्य भोजनम्।

वृथा दानं समर्थस्य, वृथा दीपो दिने यथा।।

अर्थ :  समुद्र में होने वाली वर्षा का कोई महत्व नहीं होता। पेट भर खाना खाने के बाद तृप्त हुए व्यक्ति को भोजन कराने का कोई महत्व नहीं। धनवान व्यक्ति को दान देने का कोई महत्व नहीं और सूर्य के प्रकाश में दीया जलाने का कोई महत्व नहीं।

भावार्थ : अर्थात कहने का तात्पर्य है कि जरूरतमंद के काम आने का महत्व है। समर्थ व्यक्ति की सहायता करने का कोई लाभ और महत्व नही होता।

Similar questions