वृंदावन में संध्या के समय क्या अनुभूति होती थी और क्यो ?
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वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को सुखद अनुभूति होती है। वहाँ सूर्योदय पूर्व जब उत्साहित भीड़ यमुना की सँकरी गलियों से गुजरती है तो लगता है कि अचानक कृष्ण बंशी बजाते हुए कहीं से आ जाएँगे। कुछ ऐसी ही अनुभूति शाम को भी होती है।
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वृन्दावन में सूरज निकलने और ढलने के समय यह अनुभूति होती है जैसे अभी कन्हैया भीड़ में से निकलकर बाँसुरी बजाते हुए प्रकट होंगे और बाँसुरी की मधुर तान से सबका मन मोह लेगी| पूरे वृन्दावन में आज भी श्रीकृष्ण और उनकी बाँसुरी तथा अन्य यादें बसी हुई हैं|
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