विद्या के समान धन नहीं है , संस्कृत मे अनुवाद करीए
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विद्या समान धनाम ना अस्ती
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धनं ज्ञानसमं न भवति
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हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिये
1. कारक या विभक्ति के अनुसार संज्ञा, सर्वनाम एवं विशेषण शब्दों के रूप लिखे जायें।
2. संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के पुरुष, लिंग एवं वचन के अनुसार ही क्रिया का प्रयोग किया जाये । 3. क्रिया का प्रयोग धातु रूपों के अनुसार सम्बन्धित लिंग, वचन एवं पुरुष के अनुसार किया जाये।
4. विशिष्ट अव्यय एवं धातुओं के अनुसार ही विभक्ति एवं कारक का प्रयोग हो उपयुक्त प्रत्यय लगाकर ही शब्दों की रचना हो ।
हिन्दी से संस्कृत अनुवाद के लिए आवश्यक अवयव
1. शब्द रूप
2. धातु रूप
3. लकार
यहाँ कुछ आदर्श वाक्यों का हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद दिया गया है, जिससे शिक्षार्थियों को अनुवाद करने में सहायता मिलेगी।
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