विद्यालय के लिये तैयार न होने पर माँ बेटे के बीच में संवाद
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khale ABB isss answer ko
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मैं अपने बेटे को समय का महत्व समझाते हुए..
“तुम दोनो कभी समय पर कोई चीज़ नहीं करते। हर वक़्त तुम्हारे आगे पूछे मुझे दौड़ना पड़ता है।इतने बड़े हो गए फिर भी हर बात के लिए मम्मा।”
बड़ा बेटा अपनी चादर समेटते हुए..
“माँ, एक बात बताओ अगर हम ये सब कार्य आपके अनुसार कर ले तो आप को कोई बहाना ही ना मिलेगा हमारे आसपास रहने का। ये सब तो हम आप के लिए करते है और आप उलटा हमें ही डाँट लगाती हो:p
एक दिन छोटे बेटे से बात करते हुए उसे अपनी दिनचर्या के बारे में बता रही थी।
मैं: तुम्हारे स्कूल को छुट्टी लग गयी है फिर भी तुम अपनी रुचि के साथ थोड़ा पढ़ाई की और भी ध्यान रखना।इस साल दसवीं है और अच्छे से मेहनत करना है।
छोटा बेटा: माँ , ये सब तो ठीक है पर बैठे-बैठे मैं ये सोचने लग गया हमें छुट्टी भी मिल जाती है और हर रविवार हम इतने आराम से छुट्टी मनाते है पर आप तो पूरे साल काम में लगी होती हो।हमें इस बात पर पापा से बात करनी पड़ेगी:p ( छोटा पैकेट पर बातें बिलकुल बड़ों जैसी।)
एक बार हम तीनो बैठे-बैठे गप लगा रहे थे।मैंने उनसे पूछा मेरी कौन सी बात आप को अच्छी नही लगती ? अगर मुझे पता चलेगा तो मैं अपने आप में सुधार करूँगी।
दोनो को बहुत बड़ा मौक़ा मिल गया अपनी शिकायतें वो भी मेरी और मुझे ही बताना था। ख़ुशी से चेहरा खिलखिला उठा और कहते है, “ पक्का आप नाराज़ नहीं होंगी?”
मैंने कहा, “ नहीं बाबा बताओगे तब तो जान पाऊँगी।”
तो कहते, “ आप जब हम खाना नहीं खाते या कोई काम समय पर नहीं करते तो कितना ग़ुस्सा हो जाती हो।और हमें डाँटने लगती हो और जब हम सब काम सही तरीक़े से कर ले तो कहती हो मैंने सिखाया ये नहीं के हम सिख गए इसलिए करते है”
मैं हंस पड़ी, और कहा अच्छा अब आगे से ध्यान रखूँगी मैंने भले सिखाया हो पर तुम भी उतने ही अच्छे से सिखे हो।ग़लती हो गयी बाबा हमें माफ़ी दे दो।
दोनो बोल पड़े, “पता है मम्मा आप की एक ख़ास बात क्या है.. आप को कोई कुछ भी कह दे आप स्वयं पर ले लेती हो और आप की ग़लती हो या ना हो आप तुरंत आगेवाले की बात मान जाती हो।और माफ़ी माँगने से भी पीछे नहीं हटती ये आप को और भी श्रेष्ठ बना देता है”
मेरी आँखो से ख़ुशी के आँसु बहने लगे और वे दोनो मुझे ऐसे गले लगाए जैसे मेरी आत्मा मुझे मिल गयी हो।
धन्यवाद अनुरोध के लिए:)
रानु:)