विद्यालय के प्राचार्या को: पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि विद्यालय में अधिकाधिक पेड़-पौधे लगाए जाए।
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जल की तरह पेड़-पौधे भी हमारे जीवन का अविभाज्य अंग हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वास्तु में पेड़-पौधों का खास महत्व है। वास्तु के अनुरूप लगे पेड़-पौधे हमें सुख-समृद्घि प्रदान करते हैं।
अमूमन लोग पेड़-पौधे गृह-सज्जा के लिए लगाते हैं। पीपल, नीम, आम, केला, बांस जैसे बड़े पेड़ों को भी घर के आहते में लगाया जाता है। किंतु तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण सिकुड़ते आवासों में पेड़ लगाने का चलन काफी कम होता जा रहा है। आज के समय में हम पेड़ों के स्थान पर छोटे पौधे लगाकर न सिर्फ अपने आवास को खूबसूरत बना सकते हैं, बल्कि शुभ फल भी पा सकते हैं।
घर के उत्तर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में कम ऊंचाई वाले पौधे जैसे तुलसी, गेंदा, आंवला, चम्पा, चमेली, मोतिया आदि लगाने चाहिए। ये पौधे वायु को शुद्घ रखते हैं। उत्तर-पूर्व में छोटे पौधे होने से उगते सूर्य की पैराबैंगनी किरणें आसानी से घर में प्रवेश कर सकती हैं। घर के दक्षिण-पश्चिम में ऊंचे पेड़ जैसे नीम, बड़, पीपल आदि हों तो शुभ फल देते हैं।
पीपल- पीपल की मुख्य विशेषता यह है कि यह 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। कैंसर जैसे असाध्य रोग के लिए भी यह लाभकारी है। पीपल घर से पर्याप्त दूरी पर हो तो अच्छा है, क्योंकि इसकी जड़ें दूर-दूर तक फैलती हैं, जो भवन की नींव को नुकसान पहुंचा सकती हैं। रात को इस पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए, क्योंकि इससे तीव्र मात्र में गैस निकलती है, जिससे मूर्छा का डर रहता है।
नीम- इस वृक्ष का औषधीय महत्व अधिक है। इसकी पत्तियों को प्रवेश द्वार पर बांधना शुभ होता है। यह आयुर्वेद की लगभग 300 औषधियां बनाने के काम आता है। इसकी लकड़ी से बने फर्नीचर व दरवाजों में दीमक नहीं लगती। इसकी टहनी का प्रयोग दातुन के रूप में किया जाता है।
केला- केले के पौधे को शुभ व धन-संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। इसे घर के प्रवेश द्वार पर व शादी-विवाह के मंडप को सजाने के काम में लाते हैं। इसके पत्तों पर भोजन खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी माना जाता है।
बांस-बांस को उत्तर-पूर्व में लगाया जाना शुभ होता है। यह कारोबार में वृद्घि व सुख-समृद्घि देने वाला है। चीन में बांस के पौधे का उतना ही महत्व है, जितना भारत में पीपल के पेड़ का। यह तड़ित विद्युत यंत्र का भी काम करता है।
इन पौधों को घर में लगाएं
तुलसी- तुलसी का पौधा लगाने से आसपास का वातावरण कीटाणु रहित हो जाता है। इसे घर के उत्तर-पूर्व व पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इसे घर के आंगन (ब्रह्म स्थान) में भी लगाया जा सकता है। तुलसी का पौधा औसतन 10 पेड़ों के बराबर ऑक्सीजन छोड़ता है। इस पौधे का औषधीय व आध्यात्मिक महत्व भी है।
आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में तथा खांसी-जुकाम में इसकी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए। नीम, नींबू, अनानास, आम, अनार, चंदन, बादाम, कटहल व पान के पौधे घर में बने बगीचे में लगाना शुभ फलदायक माना जाता है। घर के परिसर में लगाए गए केले व नारियल के वृक्ष मानसिक शांति देते हैं व स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त हैं।
फूलों के पौधे
मोगरा यानी चमेली का पौधा घर में लगाना शुभ रहता है। ये पौधे मन को आनंदित करने वाली खुशबू तो देते ही हैं, पूजा में भी काम आते हैं। मोगरा के फूलों की माला गूंथकर उसे पूजा स्थल की सजावट के भी काम में लाया जा सकता है। नीले व लाल रंग के कमल के फूल का भी ऐसा ही प्रभाव माना जाता है।
इन बातों का रखें खयाल
छोटे पौधों को उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इस बात का खयाल रखें कि उत्तर-पूर्व में खुला स्थान बना रहे। लम्बे वृक्षों को बगीचे/भवन के पश्चिम, दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाएं। इन्हें लगाते हुए यह खयाल रखें कि ये भवन की इमारत से पर्याप्त दूरी पर हों व सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच इनकी छाया इमारत पर न पड़े।
विशाल दरख्तों जैसे पीपल, नीम आदि को भवन से पर्याप्त दूरी पर लगाना चाहिए, क्योंकि इनकी जड़ें भवन की नींव को क्षति पहुंचा सकती हैं। इस बात का भी खयाल रखें कि इन दरख्तों की छाया सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच इमारत पर न पड़े।
कांटेदार पौधों को घर में कभी नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ऐसे पौधे नकारात्मक ऊर्जा के वाहक होते हैं। खासकर कैक्टस तो बिल्कुल भी नहीं। इनकी घर में उपस्थिति अशुभ मानी जाती है। अगर आपके घर में कोई कांटेदार पौधा है भी, तो उसे तुरंत उखाड़ फेंकें।
लताओं यानी बेलनुमा पौधों को आंगन या घर की दीवार पर न फैलने दें। इन्हें बगीचे में ही लगाएं और इन्हें अपनी सहायता से आप फैलने दें, लेकिन इन्हें बढ़ने के लिए घर या आंगन की दीवार का सहारा न दें। मनी प्लांट अवश्य घर के भीतर लगाया जा सकता है। जो वृक्ष सांप, मधुमक्खी, कीड़े, चीटिंयों, उल्लू आदि को आमंत्रित करते हैं, ऐसे वृक्षों को बगीचे में न लगाएं।
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