'विद्यालय का वार्षिक उत्सव' पर अनुच्छेद
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हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है । वैसे तो हमारी पाठशाला में अन्य कई उत्सव, जैसे: तुलसी जयंती, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, छात्रों का विदाई समारोह, होलिकोत्सव आदि बड़े आनंद तथा उल्लास से मनाए जाते हैं; किंतु इन समस्त उत्सवों में हम छात्र-छात्राओं के लिए ‘वार्षिकोत्सव’ ही सबसे अधिक आनंददायी होता है ।
विद्यालय में आयोजित वार्षिकोत्सव में छात्राओं को गण्यमान्य नागरिकों और छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के सम्मुख पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं । इसीलिए छात्र-छात्राओं को वार्षिकोत्सव सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और अनंदमयी प्रतीत होता है ।
हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव नवंबर में दीपावली के ज्योतिर्मय त्योहार के आस-पास ही मनाया जाता है । कई सप्ताह पूर्व से हमारे विद्यालय की छात्र-छात्राएँ तथा अध्यापक-अध्यापिकाएँ वार्षिकोत्सव की तैयारी में तन-मन से जुट जाते हैं ।
उत्सव के दिन प्रात: काल से ही सभी अपने-अपने कार्यों में तत्परता से जुटे रहते हैं । विद्यालय के मैदान में एक विशाल तंबू लगाया जाता है । उसमें लगभग एक हजार व्यक्तियों के बैठने का प्रबंध किया जाता है । तंबू के एक छोर पर बड़ा और ऊँचा भव्य रंगमंच बनाया जाता है ।
पंडाल और रंगमंच को रंग-बिरंगी झंडियों तथा बंदनवारों तथा गुब्बारों से सुसज्जित किया जाता है । विद्यालय भवन को झंडियों तथा रंगीन विद्युत् बच्चों से सजाया जाता है । विद्यालय के प्रवेश-द्वार को विशेष रूप से फूल-पत्तियों से सजाकर उस पर ‘स्वागतम्’ लिखा जाता है । समस्त विद्यालय की साज-सज्जा की जाती है । अतिथियों को सम्मान सहित नियत स्थान पर बैठाया जाता है ।
सुंदर परिधानों से सजे छात्र-छात्राएँ कतारबद्ध शिष्टतापूर्वक अनुशासित होकर बैठ जाते हैं। वार्षिकोत्सव के दिन हमारे अध्यापक-अध्यापिकाएँ भी सुंदर-सुंदर वस्त्र धारण करते हैं और वे भी उतने ही उल्लसित दिखाई देते हैं जितने कि हम सब विद्यार्थी । मुख्य अतिथि का आगमन होते ही समस्त आगत-अतिथि तथा छात्र समूह खड़े होकर उनका सत्कार करते हैं।
रंगमंच का परदा उठता है । सर्वप्रथम रंगमंच पर विद्यार्थी खड़े होकर स्वागत करते हैं । उसके बाद मुख्य अतिथि छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरित करते हैं । इसके पश्चात् प्रधानाचार्य महोदय विद्यालय का वार्षिक विवरण पढ़कर सुनाते हैं और तब पुन: रंगमंच पर रंग-बिरंगे मनोहारी नाटक, गायन, नृत्य आदि के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं ।
कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रधान अतिथि का भाषण होता है और धन्यवाद-ज्ञापन की रीति निभाई जाती है । इस अवसर पर उपस्थित हर व्यक्ति को मिष्टान्न प्रदान किया जाता है । वार्षिकोत्सव हम विद्यार्थियों को केवल आनंद या हँसी-खुशी ही नहीं देता वरन् हमें उत्तम विद्यार्थी बनने की प्रेरणा भी देता है ।
जब हम देखते हैं कि हमारे ही जैसे एक अन्य विद्यार्थी को किसी भी विषय में श्रेष्ठ होने के कारण पुरस्कार मिला है तब हमारे मन में भी भावना जाग्रत् होती है कि हम भी उत्तम विद्यार्थी बनकर पुरस्कार प्राप्त करें और अपने माता-पिता एवं गुरुजनों के प्रिय बनें ।
पुरस्कार के रूप में सम्मान-प्राप्ति की लालसा हम विद्यार्थियों को अध्यवसायी तथा उद्यमी बनाती है । वार्षिकोत्सव विद्यार्थियों को इस बात का अवसर देता है कि हम अपने अध्यापक-अध्यापिकाओं के निकट संपर्क में आकर उन्हें भली-भाँति समझ सकें और उनसे कुछ सीख सकें ।
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